वो गुजरा हुआ कल,वह ज़माना नहीं रहा। वो पहले वाला बचपन, वह याराना नहीं रहा॥ जिनमे थे,गुड्डे गुड़ियों के खेल। प्यारी दादी का,अब वह तराना नहीं रहा॥ खेले थे जिनमें,बचपन के सब खेल। वह बाग़ वे मैदान,वह ठिकाना नहीं रहा॥ देखा करते थे घंटों,ढलते सूरज को नदी का अब वह,किनारा […]