माता-पिता है प्रथम गुरु, जिनसे होता  जीवन शुरू। ज्ञान,ध्यान की साधना से, जीवन को संवारते हैं गुरु॥ ज्ञान-कौशल को तराशकर, शिखर पर पहुँचाते हैं गुरु। सदा सही राह पर चलना, सिखलाते हैं धरा पर गुरु॥ पूर्णिमा के चांद की तरह, शीतलता बिखेरते हैं गुरु। चलेगा जनजीवन सुचारु, पूजेंगें जब हम […]

पलक झपकते खड़ी इमारत ढह जाती है। अपने पीछे एक कहानी कह जाती है॥ नींवों के पत्थर से मत छेड़ा-छाड़ी कर। नई-सीख़ पछतावा बनकर रह जाती है॥                                               […]

गुरू बिन कौन है अपना, जो हमको पार कर देगा। बदी को दूर कर दिल से, गुरू नेकी को भर देगा॥ गुरू की तू शरण ले ले, अमन जीवन सुधर जाए। गुरू एक रास्ता सीधा, इधर जाए,उधर जाए॥ सब कुछ तू लुटा उस पर, वो कर शीश धर देगा। गुरू […]

बचपन में, गाँव के, घर-आँगन में, खाट पर बैठकर, कहती थी माँ, मेरा सूरज जैसा बेटा। बहिन को कहती थी माँ, मेरी चाँदनी जैसी बिटिया। माँ तो अब, इस संसार में नहीं, लेकिन मैंने सम्भालकर रखी है वो खटिया, अन्तरंग प्रेम क्षणों की साक्षी।             […]

     वैविध्यमय भारत में भाषाई वैविध्यता विद्यमान है। दक्षिण भारत के तमिलनाडु और केरल को छोड़कर लगभग सभी रज्यों में लोग हिन्दी समझते हैं,लेकिन आजकल हिन्दी के खिलाफ आंदोलन चल रहे हैं।      देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग प्रांतीय भाषाएँ हैं। चाहे वह उत्तर भारत का भाग […]

कभी  है  हांक  लगाता, कभी  सांस   है  खींचे। दांये-बांये,  ऊपर-नीचे देखे  चलते आगे-पीछे। रात-प्रात या घनी दोपहरी। सीमा पर तैनात है प्रहरी। यह न डरता गोली बम से, बना है  यह  फौलादों से। देश बचा है इसके दम से, है लदा फर्ज के वादों से। रात-प्रात या घनेरी दोपहरी। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।