पाखण्ड ही तो है जो ये तुम रोज खुद को समझाते हो, फल में देरी कहाँ है क्यों इस झूठ से खुद को बहलाते होl परिश्रम तो करो इन हाथों से, जिन्हें तुम रोज प्रार्थना के लिए उठाते होl परिणाम के बारे मे क्यों सोचते हो, पहले खुद को […]
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मानसून अकेला नहीं आता,मानसून दल-बल के साथ आता है।अकेले आने में उसे डर लगता है। हमारे यहां मानसून आता है तोलगता है, नेताओं का झुण्ड आ रहा है कभी लगता है अधिकारियोंका दरबार आ रहा है। मानसून बारात की तरह होता है,बारात केआते ही मोहल्ला गूंज उठता है,कुत्ते चिल्लाने लगते हैं,कुछ दुबकजाते हैं,महिलाएं बाहर निकल आती है दूल्हे को देखने। मानसून केआते ही महिलाएं घर से बाहर निकलती हैं,शरीर पर उभरी घमोरियोंको दूर करने के लिए मानसून की बारिश में नहाती हैं। बारात केमनचले बारात की लड़कियों को घूरते हैं,मानसून की बारिश में नहातेसमय मोहल्ले के शरीफजादे कभी तिरछी नजर से,तो कभी सीधीनजर से निहारते हैंll।उन्हें लोग घूरना भी मान लेते हैं। ये बारिश काधन्यवाद करते हैं। बारिश में नालियां खुशी से उफान पर आ जाती हैं। उनमें फंसा कचरागुलाब की तरह खिल जाता है। उससे उठती दुर्गंध से लोगों की नाकपकोड़े समान हो जाती है। जेब का रुमाल नाक पर आ जाता है। सड़कका कचरा विपक्ष की एकता की तरह एकसाथ बहने लगता है। सत्तापक्ष सफाई में जुट जाता है। कचरा सड़क पर भ्रष्टाचार की तरह फैलजाता है,उठाते-उठाते थक जाते हैं,कचरा समाप्त नहीं होता है। मानसून का इंतजार हो रहा है। बारिश शुरू हो चुकी है। मौसम विभागका कहना है-यह बारिश मानसून की नहीं है,आज तक समझ में नहींआया कि,मानसून की बारिश और मानसून से एक दिन पहले कीबारिश में क्या अंतर है। मौसम विभाग किस बारिश को मानसूनीबारिश मानता है,समझ में नहीं आता है। मानसून खुश होने का मौसम होता है। किसान खुश,नेता खुश,बाढ़़आएगी,अधिकारी-बाबू खुश हैं। मानसून में सड़ी प्याज व्यापारी बेचदेते हैं,समोसे की बिक्री बढ़ जाती है,सड़े आलू के खाद्य पदार्थ बाजारमें, ब्रेड पकोड़ा की टीआरपी बढ़ जाती है,छतरी के भाव आसमान छूनेलगते हैं। छतरियां प्रेमियों को भाती हैं,तिरछी नजर से छतरी बारिशऔर बाप की आंख से बचाती है। चखना की खोज में बेवड़ा लोगनिकल पड़ते हैं,प्याज के पकोड़े चखने का काम कर जाते हैं। पेन्ट हॉफ पेन्ट में बदल जाती है। महिलाएं पाजामा पहनने लगतीहैं,ताकि बारिश से बचने के लिए उसे घुटनों तक किया जा सके। मैकेनिकों की पौ-बारह हो जाती है। चार के आठ वसूलने का मानसूनआता है। नेता खुश हो जाते हैं,आसमान से बाढ़ का नजारा औरजमीन पर नोटों का खजाना। राहत सिर्फ राहत कुछ के लिए,कुछकौन ??????? मानसून का इंतजार करते हैं-चिकित्सक,अस्पताल,दवाईवाले,अधिकारी और बाबू। मानसून डेंगू,बुखार,डेंगी,चिकनगुनिया,बर्डफ्लू आदि के साथ आता है। इन दिनों सभी की जेब मानसून कीबारिश से आई बीमारियों से प्राप्त पैसे से भारी हो जाती हैं। बाढ़ राहतकोष, स्वयंसेवी संस्थाएं लूट का इंतजाम,कार्यकर्ता जमा हो योजनाबनाने लगते हैं,झोपड़ पटटी में फैली सुन्दरता को निहारने का मौकामनचले तलाशने लगते हैं। बारिश हो चुकी है,मौसम विभाग की घोषणा का इंतजार है,मानसूनआ गया है,बारिश नहीं आई है। […]
हिन्दी के लिए लड़ने वाले मुबंई के प्रवीण जैन ने राजभाषा विभाग (गृह मंत्रालय,भारत सरकार,नई दिल्ली) के सचिव को वस्तु एवं सेवा कर सम्बन्धी वेबसाइट,ऑनलाइन सेवाएँ, प्रारूप(फॉर्म), मैनुअल, विवरणी और ऑनलाइन पंजीयन आदि केवल अंग्रेजी में होने और राजभाषा की अनदेखी करने की शिकायत की हैl आपने शिकायत में कहा है कि,आज देश में आर्थिक एकीकरण के लिए वस्तु […]