न अँधेरों के किस्से न उजालों की बातें, कोई नींद में कर रहा है निवालों की बातेंl यहाँ भूख रक्स करती गरीबों के आँगन, अमीरों की आदत घोटालों की बातेंl कोई मन की बातें करता यहाँ पर, कहीं हो रही हैं सवालों की बातेंl कहीं भाई-चारे की चढ़ती रहती है […]
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सभ्य-श्रेष्ठ खुद को कहता नर करता अत्याचार। पालें-पोसें वृक्ष उन्हीं को क्यों काटे? धिक्कार। बोए बीज,लगाईं कलमें पानी सींच बढ़ाया। पत्ते,कली,पुष्प,फल पाकर मनुज अधिक ललचाया। सोने के अंडे पाने मुर्गी को डाला मार। पालें-पोसें वृक्ष उन्हीं को नित काटें? धिक्कार। शाखा तोड़ी,तना काटकर जड़ भी दी है खोद। हरी-भरी भू-मरुस्थली […]