लोकतंत्र के नाम पर पूंजीवाद के मकड़जाल में फंसता आदमी । असुरक्षित सत्ता से सुरक्षा की गुहार लगाता आम आदमी । भावनाहीन, तर्कहीन चाटुकार प्रशासन से अपनी सुविधाओं की भीख मांगता आदमी । राष्ट्रवाद के नाम पर अपने ही सैनिकों के खून पर फिर से सत्ता सुंदरी को पाते हैं […]