कुरान में लिखा है कि ख़ुदा के पास ना हड्डियां पहुंचती है ना ही मांस, पहुँचती है तो बस खुशु यानी कुर्बानी की भावना चारों तरफ कुर्बानियों की चर्चा हो रही है ऐसे में मन में यही ख़याल अक्सर आता रहा है और आज फिर बार बार सीने में कौंध रहा […]

रुकते-रुकते इस महफ़िल में,जाना अच्छा लगता है। कोई न जाने मुझको यहाँ,अनजाना अच्छा लगता है। दूर निकल देखा रे जिंदगी,वो मजलिस मेरा था ही नहीं। गुमसुम-गुपचुप बैठा यहाँ,सारा बेगाना अच्छा लगता है। छूटा अपने टूटे जो सपने,किसका मुझे है गम करना। ठोकरें इतनी पायी है मैंने,सारा जमाना अच्छा लगता है। […]

कर लिए कायम दायरे सबने अपने-अपने हो गए आदि तंग दायरों के कितना सीमित कर लिया खुद को सबने नहीं देखा कभी दायरों को तोड़ कर अगर देख लेता तोड़ कर इनको तो हो जाता उन्मुक्त पक्षियों की तरह जिन्हें नहीं रोक पाते छोटे-बड़े दायरे नहीं कर पाती सीमित इनकी […]

मोरिशस में जो हुआ, वह 11 वां विश्व हिंदी सम्मेलन था। वह तीन दिन चला। 18, 19 और 20 अगस्त ! लेकन उसे महत्व कैसा मिला? जैसा कि किसी गांव या छोटे शहर की गोष्ठी-जैसा! क्यों? सरकारी लोग इसका कारण अटलजी को बताते हैं। उनका कहना है कि अटलजी के […]

धरती का सूरज आज से आसमान में जगमगाएगा यहीं रहा है और रहे हमेशा दिलों से कभी न जायेगा। एक एक भारतवासी में वह रहेंगे जिंदा मौत एक सच्चाई है सिर्फ तन से सांसे हुईं जुदा। आसमान में एक अभी था आज से दो ध्रुव तारे होंगे अमावस कभी काली […]

भाई घर की शान है, बहना है अभिमान। देखो  बहना के बिना,सुना लगता मकान।। भाई कि कलाई सजे, बहना के ही हाथ। छूटे से छूटे नही,इन दोनों का साथ।। बड़ी बहना माँ सम तो,छोटी सखी समान। भाई में बसती सदा,बहनों की है जान।। मात-पिता रखते सदा,दोनों को हि समान।। दोनों […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।