विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस विशेष डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ राष्ट्र के निर्माण में या चाहे राष्ट्र के सुनियोजित संचालन में, देश की संरचना गढ़ने में या चाहे देश की व्यवस्थाओं में, लोकतंत्र की स्थापना में या चाहे सुचारू समन्वय में, सत्ता पर नियंत्रण में या चाहे सत्ता के क्रियान्वयन में, […]

सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला” सरोज स्मृति 1935 ई. में सूर्यकांत त्रिपाठी निराला द्वारा लिखी लंबी कविता और एक शोकगीत है। निराला ने यह शोकगीत 1935 में अपनी 18 वर्षीया पुत्री सरोज के निधन के उपरांत लिखा था। इसका प्रथम प्रकाशन 1938 या 1939 में प्रकाशित “द्वितीय अनामिका” के प्रथम संस्करण में […]

” बच्चों, आप सभी को मालूम है आज मांडू भ्रमण के लिए एडवांस जमा करने का आखरी दिन है। कक्षा आठवीं के सभी बच्चों को चलना है”। क्लास रूम में बच्चों को टीचर ने कहा । अधिकांश बच्चों ने पालकों की स्वीकृति एवं एडवांस रुपए पहले ही जमा करवा दिए। […]

(1) हरी मेहंदी रंग देगी वो लाल सुंदर हाथ। (2) मेहंदी संग हो सोलह शृंगार आएं साजन। (3) आए जो प्रिय लिये हाथों में हाथ मीठी–सी बात। (4) झूमे सावन आनंद ही आनंद मनभावन। (5) सुखी जीवन प्रियतम का संग मिली सौगात। ( 6) देख मेहंदी साजन हुए ख़ुश लिखा […]

गुरु से पाया जग ने सदा ज्ञान करें प्रणाम । जल है दाता जीवन प्रवाह का सहेज आज । धरा का धैर्य मां-पिता समर्पण हो आत्मसात । अन्न दाता ने हरित की धरती भूखा ही सोए । नारी जीवन रिश्तों की सूत्रधार त्याग अपार । संध्या रामप्रसाद पाण्डेय अलीराजपुर (मध्यप्रदेश) […]

1) नीले नभ को निहारता सुदूर हैरान हुआ। 2) पग मिलाना उदित उषा सूर्य तय ढलना । 3) लो मेघ आए आँखों में पले ख्वाब धरा निहारें 4) मन सागर नयन-नीर प्रेम भीगा है तन । 5) प्रकृति बाँटे अमूल्य उपहार प्रकृति प्यार । श्रीमती रश्मिता शर्मा इन्दौर (मध्यप्रदेश) Post […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।