कंजूस पापा !

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” बच्चों, आप सभी को मालूम है आज मांडू भ्रमण के लिए एडवांस जमा करने का आखरी दिन है। कक्षा आठवीं के सभी बच्चों को चलना है”। क्लास रूम में बच्चों को टीचर ने कहा ।
अधिकांश बच्चों ने पालकों की स्वीकृति एवं एडवांस रुपए पहले ही जमा करवा दिए।
राहुल ” सर,रवि इस बार भी एडवांस लेकर नहीं आया। उसके पापा ने स्वीकृति नहीं दी”।
सौरभ ” सर, रवि के पापा बहुत कंजूस है। उसका बर्थडे तक नहीं मनाते” ।
राहुल ” हां सर, रवि के पापा इसको हमारी बर्थडे पार्टी में भी नहीं भेजते । कई बार तो यह बिना गिफ्ट लिए ही खाली हाथ आ जाता है”।
तभी लंच ब्रेक हो जाता है । बच्चे क्लास रूम से बाहर निकल जाते हैं। कुछ मसखरे बच्चे रवि और उसके पापा की कंजूसी के किस्से सुनाकर हंसी उड़ाने लगते हैं। रवि बिना लंच किए लंच ब्रेक में घर चला गया।
रवि (घर पर अपने पापा से) ” मेरी क्लास के कुछ बच्चे आपको कंजूस बोलते हैं। आप पहले तो कंजूस नहीं थे। मैंने आपको पहले भी कहा था। कल हमारी क्लास के बच्चे मांडू टूर पर जा रहे हैं। आपने मुझे एडवांस नहीं दिया”।
पापा “रवि, तुम परेशान मत हो। बिजनेस चलने दे । हम सब सपरिवार मांडू चलेंगे”।
रवि अपने पापा की बातों से संतुष्ट नजर नहीं आया। वह अनसुना करके वापस स्कूल जाकर क्लास में उदास बैठ जाता है। लगभग एक घंटे के बाद पापा रवि के क्लास रूम में पहुंच जाते हैं।
पापा( क्लास टीचर से)” सर माफ कीजिए मैं समय पर एडवांस जमा नहीं कर पाया। आप अभी जमाकर लीजिए”।
क्लास रूम में तालियां बजने लगी। रवि खुशी के मारे उछल पड़ा । पापा ने रवि को गले से लगा लिया।

पापा “बेटा, तुम्हारी खुशी के सामने मेरी शादी की आखिरी निशानी सोने की अंगूठी की कोई कीमत नहीं थी”( यह बात मन ही मन कहकर बाहर निकल गए)।

रमेश चंद्र शर्मा

16 कृष्णा नगर- इंदौर

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