नाचते हैं पेड़, गाते हैं पौधे, झूम के मतवाले मस्त हुए जाते हैं। तपती हुई धरती के संतप्त प्राणी, ख़ुशी के इज़हार को दोहराए जाते हैं। धूल के हैं रंग गुलाल, हवाओं के जोश जश्न, मौसम के स्वागत में व्याकुल आतुर होकर, सभी जैसे प्रियवर का मिलन गीत गाते हैं। […]