मुझे अपने पुत्र से इतना प्रेम नहीं जितना अपने पोते से है ऐसा मेरे दादाजी कहते थे माँगते थे वो किसी से कुछ नहीं कभी देकर सर्वस्व सबको स्वयं अभावों में जीते थे यदा-कदा पिताजी की जिन बातों पर नाराज़ होते थे दादाजी मेरी उन्हीं बातों पर मुस्कुराते थे दादाजी […]