न कहीं धूप,न कहीं अब छाँव है, दिख रही रिमझिम फुहार है। बगीचे तले डाली-डाली फूल झूमे, आपस में लिपट-लिपट गाल चूमे.. तितलियाँ रँगीली इधर-उधर घूमे, डालियाँ लताएं भी सारे गम भूलेl क्यारियों में डूबे जहाँ सूखे पाँव है, वहीं दिख रही रिमझिम फुहार है। सड़कों पर […]