सहमीं छितराती बदली देवदार की ऊंगली पकड़ पहाड़ के सीने पर सिर झुकाए खड़ी है। प्रवासी प्रेमी का रूदन रिमझिम बरसकर कंदराओं से झर जड़ों में जम रहा। पल्लव से चिपकी बूंदें हवा से बतियाते हुए धीरे धीरे फिसल नदी में विलीन। उन्मादी मन पंछी चोंच में सपने दबाए टहनियां […]

स्त्री देह को रौंदने वाली पाशविक मनोवृत्ति किसी युग में नहीं बदलेगी। कितने ही आन्दोलन हो जाएँ, कुर्बानियाँ दी जाएँ, स्त्री को उपभोग की वस्तु समझना बंद नहीं हो सकता कभी। प्रदर्शन की वस्तु, ख़रीदी-बेची जाने वाली चलती-फिरती गुलाम से अधिक नहीं है स्त्री देह का सच। बदला लेना है […]

अक्षर की साधना के ऋषि थे डॉ. शरद पगारे- सत्तन जी इन्दौर। निमाड़ की माटी का लाल नर्मदा के जल को हृदय में आत्मसात करते हुए साहित्य और अक्षर की साधना डॉ. शरद पगारे ने की। वो अपनी भाषा, संस्कृति और संस्कारों के प्रति भी समर्पित रहे। ऐसे व्यक्ति का […]

साहित्यकार होने की पहली शर्त बेचैन होना है- श्री कोकजे शब्दों की आराधना है कवि सम्मेलन – शशिकान्त यादव इन्दौर। कवि सम्मेलन शताब्दी वर्ष में डॉ. कुँअर बेचैन जी की जन्म जयंती के निमित्त मातृभाषा उन्नयन संस्थान व डॉ. कुँअर बेचैन स्मृति न्यास, ऑस्ट्रेलिया द्वारा काव्य कुँअर व काव्य दीप […]

शब्दांजलि ● डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ शुक्रवार शाम यानी 28 जून 2024 को व्यास सम्मान प्राप्त प्रो. शरद पगारे ने अंतिम सांस लेकर नश्वर देह को त्याग दिया। गुलारा बेगम, पाटलीपुत्र की साम्राज्ञी जैसे कई उपन्यास से साहित्य और हिन्दी को बलवान बनाने वाले पगारे जी की वह खनकती आवाज़ […]

● डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल‘ धरा पर एक ओर ताप बढ़ा हुआ था, कुछ बौछार मिट्टी के सूखेपन को कम कर रही थीं, इसी बीच गुलारा बेगम जैसे किरदार को जनमानस के बीच में पहुँचाने वाले कुशल कुम्भकार की महायात्रा की ख़बर ने झकझोर दिया। मालवा-निमाड़ ही नहीं अपितु देशभर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।