लोक पर तंत्र के नियंत्रक बनकर स्थापित होने के लिए राजनैतिक दलों में दाव-पेंच की कसरत चल रही है। जाति के आधार से लेकर वर्गो में विभाजित करने की नीतियां सामने आ रहीं है। नागरिकों को मुफ्तखोर बनाकर निकम्मा करने की मंशा चरम सीमा पर है। शिक्षा, स्वस्थ, परिवहन, भोजन, […]