रहते थे एक घर में,परिवार एकसाथ, अकेले रहने का अब चल गया रिवाज़। टूटने लगे हैं घर जब से,गली गाँव में, बच्चों के मन से बुजुर्गों का,मिट गया लिहाज। दीवार खिंची आँगन में,मन भी बँट गए, जब से अलग चूल्हे का,चल गया रिवाज। दीवारें क्या खिंची,माँ-बाप बँट गए, बताने लगे […]

आओ बच्चों तुम्हें सुनाऊँ,कहानी एक किसान की, धूप-छाँव सह करता खेती,गेहूँ,मक्का धान की। सुबह सवेरे जल्दी उठता,फिर अपने खेतों में जाता, घूम-घूमकर क्यारी-क्यारी,फसलों से वो बातें करता। लिए फावड़ा नित हाथ में,डौल-डौल पर डोल रहा, एक क्यारी में नाका खोले,एक में पानी बंद कर रहा। बढ़ जाती जब घास खेत […]

गिरकर उठने में माना,थोड़ा वक्त लगता है, टूटे दिल को संभलने में,थोड़ा वक्त लगता है। शक न करना कभी,मेरे मजबूत इरादों पर, आँधियों में दीप जलाएं,थोड़ा वक्त लगता है। यह तो सच है फैली है देश में,आतंक की बेल, आतंकियों को मिटाने में,थोड़ा वक्त लगता है। बोए हैं बीज कुछ […]

इश्क को अपने छुपाता रहा हूँ, तेरा नाम लिखकर मिटाता रहा हूँ। था डर तेरी रूसवाई का मुझको, अपने अरमानों को बिसराता रहा हूँ। चाहत थी दिल में चाहतों से ज्यादा, खामोश लब से पुकारता रहा हूँ। खो न जाओ जमाने की भीड़ में, बन्द पलकों से तुमको निहारता रहा […]

अंत अगर पहले लिख जाए, समय निकट अहसास कराए जीवन पथ में सृजन करें कुछ, जो सकारात्मक राह दिखाए। चहुँओर जब अंधकार घिरा हो, बचपन व्याकुल मचल रहा ह शिक्षा के तब दीप जलाकर, बचपन को नई राह बताएं। सब कुछ पाने के चक्कर में, क्यों कुछ के सुख को […]

अथाह समन्दर, मैं बूँद छोटी, अपने वजूद को कैसे बचाती, स्वाति नक्षत्र की बूँद जैसे, सीप में गिरकर मोती बन पाती ? ना चाहा कभी समन्दर में गिरूंगी, सागर में मिल समंदर बनूँगी, काश गिरती किसी नदी ताल में, किसी प्यासे की प्यास बुझाती।             […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।