किसान

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kirti vardhan
आओ बच्चों तुम्हें सुनाऊँ,कहानी एक किसान की,
धूप-छाँव सह करता खेती,गेहूँ,मक्का धान की।
सुबह सवेरे जल्दी उठता,फिर अपने खेतों में जाता,
घूम-घूमकर क्यारी-क्यारी,फसलों से वो बातें करता।
लिए फावड़ा नित हाथ में,डौल-डौल पर डोल रहा,
एक क्यारी में नाका खोले,एक में पानी बंद कर रहा।
बढ़ जाती जब घास खेत में,खुरपी लेकर मंढ जाता,
कभी खाद की लिए पोटली,भरी दोपहरी दिख जाता।
बारह महीने हर मौसम में,प्रकृति से उसकी यारी,
जेठ दोपहरी या पूस रात्री,सब लगती उसको प्यारी।
भरी दोपहरी फसल काटता,रातों को देता पानी,
कुदरत के हैं रंग अनेक,उसको तो प्यारा धानी।
बोकर बीज धरा में उसकी,प्रगति रोज निहारा करता,
बढ़ती हुई फसल को देख,मेहनत पर हर्षाया करता।
जब भी संकट हुआ देश पर,हथियारों की बात करें,
दुश्मन को निपटाने हेतु,बन्दूकों की खेती करता।
उसका ही तो बेटा है,जो सीमा पर सजग प्रहरी है,
देकर जान राष्ट्र हित में,जो सीमाओं की रक्षा करता।
रात-रात भर जागा करता,खेत-सरहद पर बन प्रहरी,
जय जवान-जय किसान,शास्त्री जी के अभिमान की।
आओ बच्चों सुनो कहानी,सैनिक और किसान की,
खेतों में जो अन्न उगाए,सरहद पर भगवान की॥

          #अ.कीर्तिवर्धन

परिचय : अ.कीर्तिवर्धन का जन्म १९५७ में हुआ है। शामली (मुज़फ्फरनगर)से आपने प्राथमिक पढ़ाई करके बीएससी मुरादाबाद से किया। इसके अलावा मर्चेन्ट बैंकिंग, एक्सपोर्ट मैनेजमेंट और मानव संसाधन विकास में भी शिक्षा हासिल की है। १९८० से नैनीताल बैंक लि. की मुज़फ्फरनगर शाखा में सेवारत हैं। प्रकाशित पुस्तकों में-मेरी उड़ान,सच्चाई का परिचय पत्र,मुझे इंसान बना दो तथा सुबह सवेरे आदि हैं। राष्ट्र भारत(निबंधों का संग्रह)भी आपकी कृति है तो नरेंद्र से नरेंद्र की ओर प्रकाशनाधीन है। व्यक्तित्व व कृतित्व पर ‘सुरसरि’ का विशेषांक ‘निष्णात आस्था का प्रतिस्वर’ कीर्तिवर्धन भी आपकी उपलब्धि है।’सुबह सवेरे’ का मैथिलि में अनुवाद व प्रकाशन भी किया है। आपकी कुछ रचनाओं का उर्दू ,कन्नड़ ओर अँग्रेजी में भी अनुवाद अंग्रेजी में अनुवाद हुआ है। साथ ही अनेक रचनाओं का तमिल,अंगिका व अन्य भाषाओं में भी अनुवाद हो चुका है। आपको ८० से अधिक सम्मान, उपाधियाँ और प्रशस्ति-पत्र मिले हैं। विद्यावाचस्पति,विद्यासागर की उपाधि भी इसमें है। आप सेवा के तहत ट्रेड यूनियन लीडर सहित अनेक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं।

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मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।