न रस है,न छंद हैं,न ही अलंकार हैं। कुछ शब्द ही हैं,जो जीवन का सार हैं॥ न दोहा,न चौपाई,न ही कोई छंद हैं। कुछ मुक्तक हैं,वह भी बस तुकबंद हैं॥ जीवन की सच्चाई,को लिख देता हूँ। जो भी मन में आए,बस कह देता हूँ॥ मुझे समझ नहीं,क्या होती व्याकरण है। […]

उदगम् स्थल में,अति सूक्ष्म- सी, कल कल मस्ती में,शैशव-सी जिंदगी नदी-सी। मुश्किलों से भिड़ जाती बाधाओं, पर्वतों से टकराती- सी, जिंदगी नदी-सी। जहाँ से जाती बालू सिमटाती सब प्रेम भरे रिश्तों नातों-सी, जिंदगी नदी-सी। मैदानों में शांत चित्त-सी, प्रपातों में उग्र व्यग्र-सी.. जिंदगी नदी-सी। सभ्यताओं के संग बहती-सी, लेकर सब […]

काट दिया सिर वीरों का,फिर से उन सब नापाकों ने। रक्त उतर आया है देखो,फिर से सबकी आँखों में।। ओज़ छोड़ अब मर्म समाया,देखो मेरी बातों में। देश का गौरव क्षीण किया है,बस ऐसे हालातों ने।। कुत्ते की दुम भी हाँ बंधु,सीधी भी हो सकती है। आतंकों में मानवता पर,कभी […]

काँव-काँव,मची हर ओर, वाक़ई बहुत,बढ़ा है शोर..। अज़ान या आरती से नहीं, घण्टा शंख ध्वनि से नहीं.. पवित्र गुरुवाणी से नहीं, किसी की प्रार्थना से नहीं.. इसका कारण है कुछ और, वाक़ई बहुत,बढ़ा है शोर…। कलयुग के कल-कारखाने, कल-कल करते रहते हैं। चौड़ी सड़कों पर सब वाहन, चीं पों करते […]

ज़ाम छलकाने पर ज़ाम लगने की खबर पढ़ते ही हमारे पड़ोस के काका जिनके रात्रि के कार्यक्रमों(करतूतों) से सारा मोहल्ला मनोरंजन करता था,उनके घर में सन्नाटा-सा छा गया।हम काका की ख़ामोशी से विचलित होकर उनके हाल-चाल लेने उनके घर जा पहुंचे। काका गुमसुम-से खटिया पर निढाल पड़े थे। हमने जय […]

ऐ री सखी इस तापमान में,मैं तो अपनी सुध-बुध भूली, माज़ा अब है प्यास बुझाती,आम की अमरैय्या भूली। स्विमिंग पूल में गोते लगाती,पोखर ताल तलैय्या भूली, एसी की मोहे भावे ठंडक,बड़ पीपल की छैयां भूली। लिम्का,सोडा,कोला प्यारा,छाछ और जलजीरा भूली, बंद बोतल का ठंडा पानी,मटके का सोंधापन भूली। ऐ री […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।