.. विचारों, वक्तव्यों, घोषणाओं तथा नियमों से हम स्वयं को हिंदी के जितने करीब महसूस करते हैं,उतना हम हैं नहीं। वास्तव में हम उससे दूर होते जा रहे हैं। वरना आज हिंदी या राजभाषा के विमर्श के लिए यूं सैकड़ों आयोजन करने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती । कभी अंग्रेजी […]

महावर लगाओ मिलन ऋतु आ रही मेहंदी रचाओ, मिलन ऋतु आ रही। चूड़ियां,कंगन चंद्रहार लाओ, सिर बोर सजाओ, मिन ऋतु आ रही। पावं बोलेंगे तब रुनझुन – रुनझुन, पायल पहनाओ , मिलन ऋतु आ रही। सुवासित सुमन वेणी संग गुथाओ, लट को सुलझाओ, मिलन ऋतु आ रही। सास ननंदिया संदेसा […]

विकास आज बेहद खुश था, क्योंकि उसके गमले में आज हरी हरी  और नन्हीं नंन्ही पत्तियां आ चुकी थीं। .. दस साल के विकास.ने आठ दस दिन पहले ही कटी हुई सब्जी के कचरे में से कुछ बीज अलग करके छोटे से गमले मे ं डाल दिये थे। गमले में […]

जानती हूं मैं नारी हूं, आदेश था बस सुन सकती। बरसों से यूं सुनती रही, अब बहुत कुछ कह सकती। चूंकि आज सतयुग है नहीं, मैं सीता नहीं बन सकती। चूंकि आज द्वापर भी नहीं, मैं राधा नहीं बन सकती। कल्पना चावला रूप धर, भेद अंतरिक्ष जा सकती। फाइटर-पायलेट बनकर, […]

1

     रमनसिंह सब्जियां लेकर मुड़ा ही था कि उसने अनायास सामने पड़ गए मिश्र जी से दो-तीन सवाल एक साथ कर डाले-‘कैसे हैं सर ?,प्रैक्टिस  कैसी चल रही है ?,आप यहां कैसे?’ – ‘एकदम ठीक’, मिश्र जी ने पहले सवाल का जवाब देना ही काफ़ी समझा।    ज्ञानसिंह मिश्र […]

न सोना न चांदी,न हीरे जवाहारात, मां के आगे किसी की क्या बिसात। जिगर में छुपाए शबनमी माहताब, शाख़ों को देती मंजिलें आफताब। देखा है मां को पल-पल बड़ा होते, बचपन से अपने दायित्व निभाते। आज बिस्तर पे लेटे-लेटे ताक रही, जिंदगी का फ़लसफ़ा सिखा रही। आंखों से शबनम गुमशुदा […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।