सामान्यतया चिंता किसी भी प्रकार के कार्य के सफल होने में,पूरा होने में शंका होने पर होती है। सफलता मिलने की शंका जब ही होती है,जब प्रयास में कमी रह जाती है। बच्चों की पढ़ाई को लेकर, खान-पान को लेकर,संस्कारों को लेकर, बिगड़ गई आदतों और संगत को लेकर, शादी […]

काहे का रिश्ता और काहे का दखल..आज मनुष्य इतना स्वार्थी और संवेदनहीन हो गया है कि,रिश्तों की अहमियत नहीं समझ सकता। आज कोई किसी के काम में अनावश्यक तो क्या आवश्यक दखल भी नहीं देता। कहीं बात का बतंगड़,तिल का ताड़ न बन जाए। कोई किसी पर भरोसा नहीं करता,और […]

काहे का रिश्ता और काहे का दखल..आज मनुष्य इतना स्वार्थी और संवेदनहीन हो गया है कि,रिश्तों की अहमियत नहीं समझ सकता। आज कोई किसी के काम में अनावश्यक तो क्या आवश्यक दखल भी नहीं देता। कहीं बात का बतंगड़,तिल का ताड़ न बन जाए। कोई किसी पर भरोसा नहीं करता,और […]

सबसे पहले यह निर्धारित किया जाना चाहिए कि,हम स्वयं से क्या चाहते हैं ? यानी हम स्वयं अपने जीवन में क्या करना चाहते हैं,क्योंकि वास्तव में चाहे जितना भी हम अपने आसपास में देखें, सीखें या समझें,या कोई प्रेरणा दे तो भी, हम करते वो ही हैं जो हमारे अंतर्मन […]

विवाह इस मानव जीवन की सबसे बड़ी आवश्यकता है और एक सामाजिक दायित्व भी है। यह प्रेम अनुबंध दो मनुष्यों यानि पुरुष एवं स्त्री के परस्पर सहयोग और सहभागिता से आजीवन निभाया जाता है। सफल एवं सुखी वैवाहिक जीवन के कुछ नियम और शर्तें होती हैं,जिनका पालन दोनों के लिए […]

 नैतिकता क्या है?,सबसे पहले तो यह समझ लिया जाए। वास्तव में नैतिकता की परिभाषा ही बदल चुकी है। पुराने समय में जो भी नैतिक मूल्य थे,प्रायः देखने में आता है कि वे अब पूरी तरह से खो गए हैं। फिर भी यदा-कदा दिख जाते हैं तो थोड़ी उम्मीद जाग जाती […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।