तुझे पहली नज़र में दिल दे बैठा हूँ पहचाने बगैर आज इश्क़ कर बैठा हूँ हो न हो जीवन का राग तुम ही हो बिन लफ्ज़ों के ये इज़हार कर बैठा हूँ तुम चाॅदनी पूनम की उजियार लगी तुझे पाने का यार इंतजार कर बैठा हूँ ऐ दिलरूबा दिले हालात […]

एक नजर क्या मिला,काम तमाम हो गया, न चाहा फिर भी ये दिल,आपके नाम हो गया। चाहत भरी मुस्कुराहट,नटखट भरी अदाओं में, मैं खोकर खयालों में,फिजूल बदनाम हो गया। किसी ने कहा था कि,इश्क बड़ा मधुर होता है, फकत चंद लम्हों की खुशी,दर्द सरेआम हो गया। हम अल्हड़ तितली-सा,फूलों पर […]

इंसान तेरी इंसानियत को डूबते देखा है, दूसरों की बुराइयों को ढूंढने वाले तेरे खुद की नीयत को बदलते देखा है। इंसान तेरी इंसानियत…॥ शिकवा करें किससे,कि सिकन्दर ही साबुत नहीं। घुटकर रह जाती,सच्चाई कण्ठ पर, दिखता है,कोई महफूज नहीं॥ कसक कसौटी की विलाप यहाँ, झर-झर के आँसू को,बहते देखा […]

एक मृदुल वायु का झोंका मुझे इस कदर छूकर निकल गया, कि मेरा ध्यान एकाएक वहीं स्तब्ध रह गया, मेरे रूह को इतना प्यारा अनुभव पहली दफा हुआ था, जो बरबस ही सोचने पर मजबूर कर दिया, कि वह जादू भरी पवन मेरे जेहन में किसका एहसास दिलाने का प्रयास […]

संयम के केन्द्र को विस्तार कर देना, एक आश्चर्यजनक घटना है। यह घटक अक्सर हमारे बीच, लागू होता रहता है, जो व्याकुलता की सीमा लांघकर, सब्र के गले को शुष्क कर देता है, लाखों की भीड़ में भी हमें अकेला कर देता है, किसी का इन्तजार॥         […]

आस्था के नाम पर, जो भी करें व्यापार, उसको हर एक शख्स से, कोड़ें लगें हजार। कोड़ें लगे हजार, गले हो जूती माला, बैठा गधे पर गंजा कर,मुंह कर दो काला। कह ‘सागर’ कविराय,रुके ये जब ही प्रथा, कुप्रथाओं के नाम,जब बन्द हो चर्चा॥               […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।