यों बदलती थातियों की मैं गवाही दे रहा हूँ। सद्भावना घर-घर में फैले आवाजाई दे रहा हूँ॥ उठना पड़ेगा आज तुमको गिरती हुई दीवार साधो, तोड़ डालो जुर्म का मुंह,तानाशाही दे रहा हूँ॥ लौट आएगा किसी दिन भटका हुआ मेरा मसीहा, आज इस वाज़िब वजह से वाहवाही दे रहा हूँ॥ […]