‘चौराहे पर लुटता चीर प्यादे से पिट गया वजीर, चलूँ आखिरी चाल कि बाजी छोड़ विरक्ति रचाँऊ मैं, राह कौन-सी जाँऊ मैं ?’ ‘धर्मयुग’ में प्रकाशित आपका आत्म चिंतन मंथन,यथार्थ से साक्षात्कार, स्वीकारोक्ति मेरे हृदय में आज भी जीवित है, आपके प्रति मेरे सम्मान की सूचक है। आत्म चिंतन के […]

तम का पहरा हो जितना भी गहरा, मुझे मेरे पथ से डिगा न सकेगा। भाग्य कोरा जो अमावस के आँगन, साहस  के आगे ठहर  न सकेगा। मैं जलूँगा दीप बन हर राह में, तम का वजूद एक पल में मिटेगा॥                     […]

मुझे याद है.. बचपन के वो दिन, कागज की कश्ती बनाकर पानी में तैराना, बरसात के दिनों में उमड़ते-घुमड़ते बादलों के बीच कल्पना के घोड़े दौड़ाना, मनचाहे चरित्रों को तलाशना, हाँ मुझे याद है। मुझे याद है.. फर्श पर पानी का फैलाना, छप-छप करना, माँ का गुस्सा,दादी का प्यार बहन […]

हार कर रुक जाना कभी सीखा नहीं, संभलकर गिर जाना कभी सीखा नहीं। यूँ तो रूकावटें मेरी राहों में थी बहुत, टूटकर बिखर जाना कभी सीखा नहीं। कांच-सी फितरत मेरी,टूटकर बिखर जाता हूँ मैं, आयना हूँ,टूटकर भी चेहरा दिखाना भूला नहीं। लेकर भरोसा गैर का राहों में,कभी बढ़ता नहीं, मील […]

तेरे खफा होने और मेरे रुठने में फर्क इतना-सा है, तुम खफा होती हो तो मैं तुम्हे मनाने आता हूँ, मैं अगर रुठता हूँ तो खुद ही मान जाता हूँ। तेरे प्यार में इस कदर पागल हुआ है ये दिल, तेरी बेवफाई पर भी,वफ़ा लुटाता जाता हूँ। लाख छुपाता हूँ […]

सही बात का समर्थन, गलत का विरोध करना, सत्ता में कोई आए, पहले हो देश अपना। लूटे मुल्क को खुद भी, करे भ्रष्टों का समर्थन, ऐसे सियासतदां का,है पुरजोर विरोध करना॥                                       […]

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।