सत्य की जीत जश्न विजयादशमी के नाम वक्त ऐसे बिताओ तुम भी ज़िन्दगी के नाम जब जमीं पाप सह ना सकी अवतार आए अंत असुर का हुआ यहाँ शक्ति देवी के नाम है वतन एक यही जहाँ नारी पूजे जाते पुण्य नवरात्र अष्टमी कुँवारी के नाम आस्था और जश्न आत्मा की शुद्धता में हो रहा आँख बाँधकर क्या पट्टी के नाम ख़ून पीना कहाँ कहा है वैदिक किताब नर संहार ना कभी हो पशुबलि भगवती के नाम भूलकर भी असत्य को ना महमान बनाओ दूध कब से पसंद हो हंस को पानी के नाम क्यों लगा पहले नाम के आगे ‘श्री’लंका में वैदेही राम संग जनक नन्दिनी के नाम नाम:राजीव कुमार दास पता: हज़ारीबाग़ (झारखंड)  सम्मान:डा.अंबेडकर फ़ेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान २०१६ गौतम बुद्धा फ़ेलोशिप राष्ट्रीय सम्मान २०१७ पी.वी.एस.एंटरप्राइज सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान १४/१२/२०१७ शीर्षक साहित्य परिषद:दैनिक श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान १५/१२/२०१७ काव्योदय:सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान:०१/०१/२०१८,०२/०१/२०१८,०३/०१/२०१८३०/०१/२०१८,०८/०५/२०१८ आग़ाज़:सर्वश्रेष्ठ रचनाकार सम्मान:२५/०१/२०१८ एशियाई […]

कितने चेहरे बदलोगे दिन में अलग रात में अलग तुम कितने चेहरे बदलोगे इंसान हो कि गिरगिट हो पल पल चेहरे बदलोगे हर चेहरा कुछ बयां करेगा कुछ अच्छा कुछ बुरा करेगा खुदगर्ज़ी के सारे सबूत परत दर परत खोलेगा जुबां पर गुनाह के चिठ्ठे वो हर हाल में बोलेगा […]

धर्म-अधर्म चिल्लाते क्यों सब ये प्रथा पुरानी। स्वार्थवश सृजन हुआ था, है ये कथा कहानी। क्यों पचड़े में पड़ने जायें, किसके साथ लड़ेंगे मानवता ही धर्म हमारा, हम यही बात करेंगे। मानव ही मानवता को अब शर्मसार कर जाता दुनियां को समझाऊँ कैसे,मैं समझ नहीं पाता द्वेष-दम्भ लोभ-मोह छल-कपट पास […]

           भारत की विशालता एक समय में कितनी रही होगी और उस विशालता में समाहित हुआ भूगोल और भूगोल के साथ उससे जुड़ा सम्पूर्ण इतिहास, कितना और कैसा रहा होगा, इसका परिमाप सबके पास अलग-अलग है । मगर मैं इतना सा जानता हुँ की उस विशाल […]

जुझारु राजनीति, संघर्षशील व सादे जीवन के चलते पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बेनर्जी को ‘बंगाल की शेरनी’ के नाम से भी जाना जाता है। बौद्धिक व सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध बंगाल में लगभग 34 साल तक चले वामपंथी राज का जिस तरह ममता ने तख्तापलट किया और तानाशाही से […]

क्यों नहीं समझ रहे हो मानव मेरी अजाब को, आँचल फैला के माँग रही हूँ आफताब को। क्यों सोच रहा है मानव की हम अग्यार है, इस्तिफाक से नाजिश कर तोड़ दिया साथ को।। क्या मिला तुम्हे हमे अख्ज कर के ज़माने  में, कल्ब तोड़ के गिरिया हम मानव नाफहम। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।