नारी—– तुझमें ही प्रेम प्रतिज्ञा का रुप हमने देखा है, तुझमें ही रणचंडी का स्वरुप हमने देखा है। तुम प्रतिमा हाड़ा रानी के शीश दान की हो, तुम पावन गाथा पन्ना धाय के स्वाभिमान की हो। हम तुम्हें दुर्गा काली का अवतार समझते हैं, रानी लक्ष्मीबाई की,पैनी तलवार समझते हैं। […]
काव्यभाषा
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