जब समाज में गहरी सांस्कृतिक संवेदनहीनता जड़ें जमा चुकी हो और राजनीति अपने सर्वग्रासी चरित्र में सबसे हिंसक रूप से सामने हो, तो लोक और लोकजीवन की चिंताएं बेमानी हो जाती हैं। गहरी सांस्कृतिक निरक्षरता और जड़ता से भरे-पूरे नायक, लोक पर अपनी सांस्कृतिक चिंताएं थोपते हुए दिखते हैं। सबका […]

मेरी मा ने एक बार कहा था , बेटे जहा गणतंत्र का झंडा , फहराया जाये , 26 जनवरी को , वहा ! उस जश्न मे मत जाना , उस झण्डे के नीचे मत जाना , ये सफेदपोश ,  उस झण्डे को दागदार कर दिये है , हर साल इसकी […]

ईश्वर ने है दिया मुझे एक प्यारा सा लाल उसके आने से सब हर्षित ईश्वर का वरदान । जबसे उसको पायी हूँ घर संसार भुलायी हूँ उसकी हँसी ठिठोली से फूली नहीं समायी हूँ । उसकी नटखट सी वो बाते मुझको बहुत लुभाती है आँखों में तस्वीर है उसकी ह्रदय […]

गैरों से गिला नहीं मुझको,, मुझे अपनो ने ही रुलाया है,, लगा के सीने से उन्होने फिर,, खंजर मुझे चुभाया है,,, समंदर में जो लेके उतरे थे,, उनपे भरोसा जायज था,, रिश्तों का था हवाला,, बेफिक्री में डर भी गायब था,, कश्तीं के जो मेरी मांझी थे,, उन्होने ही मुझे […]

आर्थिक आधार पर शिक्षा-संस्थाओं में आरक्षण स्वागत योग्य है। वह दस प्रतिशत क्यों, कम से कम 60 प्रतिशत होना चाहिए और उसका आधार जाति या कबीला नहीं होना चाहिए। जो भी गरीब हो, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म या भाषा का हो, यदि वह गरीब का बेटा है तो […]

साया जबसे उठा माँ का बिन माँ के हो गए हम जिस आँचल में जन्नत लगती उससे महरूम हो गए हम माँ नही दुनिया लगती थी उस दुनिया से खो गए हम डांट डपट सब कर लेती थी थप्पड़ गाल पर जड़ देती थी फिर भी सबसे प्यारी लगती पिटाई […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।