मेरे लाल

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archana dube

ईश्वर ने है दिया मुझे

एक प्यारा सा लाल

उसके आने से सब हर्षित

ईश्वर का वरदान ।

जबसे उसको पायी हूँ

घर संसार भुलायी हूँ

उसकी हँसी ठिठोली से

फूली नहीं समायी हूँ ।

उसकी नटखट सी वो बाते

मुझको बहुत लुभाती है

आँखों में तस्वीर है उसकी

ह्रदय में छायी रहती है ।

सुंदरता और चंचलता का

प्यारा सा वह मूरत है

नाम है उसका हर्ष

प्यारी सी उसकी सूरत है ।

जाता है जब वह विद्दालय

तनहा सी मैं रहती हूँ

जब होता है समय आने का

घर में रौनक होती है ।

ईश्वर की आभारी हूँ मैं

मुझको ऐसा लाल दिया

उसके बिन नहीं मैं हूँ पूरी

जब तक वह मुझे नहीं माँ कहता ।

होती हूँ जब दूर मैं उससे

जाने कैसा होता है

उसकी करती बातें सारी

प्यारा मेरा बेटा है ।

अम्मा बाबा का वह प्यारा

आँखों का वह तारा है

घर में करता है जब मस्ती

हर्ष – हर्ष का नारा है ।

उसके हाथों की चित्रकारी

सबको बहुत लुभाता है

गणपति बप्पा का प्यारा चित्र

देखके मन को भाता है ।

पढ़ने में वह इतना अव्वल

सहज में सब कर जाता है

अपने नन्हें हाथों से

हर कला को करके दिखाता है ।

होती हूँ मैं बहुत मगन

जब देखती उसकी करतब हूँ

मन मेरा होता निहाल

जब अम्मा – अम्मा कहता है ।

परिचय-

नाम  -डॉ. अर्चना दुबे

मुम्बई(महाराष्ट्र)

जन्म स्थान  –   जिला- जौनपुर (उत्तर प्रदेश)

शिक्षा –  एम.ए., पीएच-डी.

कार्यक्षेत्र  –  स्वच्छंद  लेखनकार्य

लेखन विधा  –  गीत, गज़ल, लेख, कहाँनी, लघुकथा, कविता, समीक्षा आदि विधा पर ।

कोई प्रकाशन  संग्रह / किताब  –  दो साझा काव्य संग्रह ।

रचना प्रकाशन  –  मेट्रो दिनांक हिंदी साप्ताहिक अखबार (मुम्बई ) से  मार्च 2018 से ( सह सम्पादक ) का कार्य ।

  • काव्य स्पंदन पत्रिका साप्ताहिक (दिल्ली) प्रति सप्ताह कविता, गज़ल प्रकाशित ।

  • कई हिंदी अखबार और पत्रिकाओं में लेख, कहाँनी, कविता, गज़ल, लघुकथा, समीक्षा प्रकाशित ।

  • दर्जनों से ज्यादा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रपत्र वाचन ।

  • अंर्तराष्ट्रीय पत्रिका में 4 लेख प्रकाशित ।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।