रिश्तो को समझते समझते तह उम्र निकल गयी जब आयी रिश्तो की समझ तब ज़िन्दगी की डोर हाथ से फिसल गयी क्यूँ बेगानी सी ज़िन्दगी जीते रहे अपनेपन की आस में कुछ अपने ताह उम्र तरसते रहे जब किनारा आया नज़र तो पैरो के नीचे से जमीं निकल गयी ये […]

पाने की चाह में खोने का डर सताता है बिना कुछ पाये ही दिल सहम जाता है फ़ितरत में जुड़ा है ये डर जाना सहम जाना रुका था न रुकेगा इंसाँ का बहक जाना लाख दुआएं कर लो फिर भी फ़ितरत न मिटेगी ये ज़ोफ़-ए-इंसाँ१ है जनाज़े तक रहेगी डॉ. रूपेश […]

पानी को बांधा तो सरोवर बन गया, मोतीयों को बाँधा तो गले का हार बिना व्रतों का जीवन अंगार बन गया व्रतों से बंधा जीवन अलंकार* आम जन जीवन और दिनचर्या में भी यही बात लागू होती है कि कुछ व्रतों से यदि हम अपने जीवन को बाँध ले तो […]

  मैं ऐसे ही ठीक हूँ थोड़ी सी खुशी देकर फिर दुख मेरे और बढ़ाया मत करो मेरे लब बेजान ही सही दो पल की हँसी देकर फिर मुझे और रुलाया मत करो मेरे सीने में ये खरोंचें ही ठीक हैं थोड़ा सा फूँक कर फिर उनमें और नमक लगाया […]

नव जीवन के सपने बुनती एक किशोरी के भाव कुछ इस तरह। .. . . . . . . .. . . . . . . . . .  स्पंदन था ह्रदय में मेरे भावनाये पुलकित हो रही मस्तिष्क में था स्वपनलोक सा भाव  नए स्वपन अवतरित हो रहे मदहोशीयो सा […]

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मुझे न बांधना इन कागज के पन्नो में, उँची दीवारो में, दफ्तर की मेजों में, साहुकारों की कोठरी में, गरीब की झोपड़ी में, रसुखदारों की जेबो में, भ्रष्टों की चाटुकारीता में, नेता के कुर्ते में ……. मैं दहकती कलम से निकली खबर हूँ ‘अवि’ मैं बारुद की स्याही के अरमान हूँ, मैं […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।