बड़े-बुजुर्ग घर की रौनक है, एक रक्षा कवच,एक दौलत हैl अनुभव का हैं वे खजाना, बहुत खलता है उनका जानाl जीते-जी उन्हें अपना बना लो, सिर-आंखों पर उन्हें बिठा लोl खराब नक्षत्र भी सुधर जाएंगे, बिगड़े सब काम बन जाएंगेl बुजुर्गों की दुआओं का फल मिलता है, घर का कोना-कोना […]
काव्यभाषा
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