चिड़िया रानी बड़ी सयानी, अपने मन की हो तुम रानी। छोटे-छोटे पैरों से तुम, फुदक-फुदक कर चलती हो। जाँच-परख कर अच्छे से, फिर चोंच से दाना चुगती हो। बड़ी गजब की फुर्तीली हो, चंचल कोमल शर्मीली हो। कभी घास पर-कभी डाल पर, चीं-चीं करती फिरती हो। खुले गगन में पंख […]
काव्यभाषा
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