सवालों के जंगल में खो गई है ज़िन्दगी। उम्मीद के सैलाब में बह गई है ज़िन्दगी॥ बेबस  है हर कोई,मंज़िल न मालूम। मुसाफिर बन के,रह गई है ज़िन्दगी॥ हर सुबह लेती है,जन्म एक नई ख्वाहिश। न जाने कैसे-कैसे खवाब,सजाती है ज़िन्दगी॥ कभी खुशनुमा कभी,गमगीन आई  मंज़िलें। सुकून के इंतज़ार में,कट […]

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अपने ही दम पे उड़ती हुई पतंग हूँ, पता नहीं डोर का कच्ची है,कि पक्की, हवाओं के सहारे निकली हुई पतंग हूँ। मिल जाए खुला गगन तो पवन की क्या बिसात, अंदर से चोट खाई हुई पतंग हूँ। कौन उड़ाए, कौन काटे कौन लूटेगा मुझे, क्या पता ? लुटेरों की […]

सुकून-ए-दिल जानने को इतना काफी है। बिस्तर की मेरे आकर सिलवटें गिन जाना॥ ये रात गवाह है मेरी इससे ही पूछ लेना। फिर भी यकीं न आए मेरी करवटें गिन जाना॥ मेरा दर्द ‘अमित’ कितनी हदों को पार कर आया। कभी भूलकर आओ तो वो हदें गिन जाना॥    #अमित शुक्ला […]

आज सुबह का नजारा बहुत ही हसीन है, धूप खिली है गुनगुनी,मौसम बेहतरीन है। हर सुबह पुरानी सुबह से कुछ नया लाती है, जब भोर के साथ परिंदे उड़ते हैं चिड़िया गुनगुनाती है। सुबह की ये किरणें नई उम्मीद लाई हैं, ठण्ड में ये गर्माहट फिर लौट आई हैं। मेरे […]

माँ ही मेरी दुनिया,माँ ही जहान है, दुनिया के सभी रिश्तों में माँ ही महान हैl  माँ मेरी लक्ष्मी,माँ ही सब भगवान है, माँ तेरा बेटा अभी भी नादान हैl   जब कोई संकट में रहता है, तो माँ का आँचल ही सिर पर पाता हैl  इसलिए दौड़कर माँ के […]

तुम्हें अपना बनाना है नहीं आसाँ अगर सुन लो। तुम्हारे ही लिए अपना सभी कुछ फिर लुटा देंगे॥ कहेगा दास्ताँ अपनी धरा औ…आसमाँ सबसे। तुम्हारे नाम से हम प्यार की गंगा…बहा देंगे॥ तेरे बिन हिज्र में रातें गुजारी हैं…बड़ी मैंने। लुटाकर दिल तुझी पर वस्ल भी हमदम करा देंगे॥ बड़ी […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।