गुलाब हो या मेरा या उसका तुम हो दिल। तुम ही बतला दो अब ये खिलते गुलाब जी।। दिल में अंकुरित हो तुम। इसलिए दिलकी डालियों, पर खिलाते हो तुम। गुलाब की पंखड़ियों कि, तरह खुलते हो तुम। कोई दूसरा छू न ले, इसलिए कांटो के बीच रहते हो तुम। […]

ज़रा सी दोस्ती कर ले.., ज़रा सा साथ निभाये। थोडा तो साथ दे मेरा …, फिर चाहे अजनबी बन जा। मिलें किसी मोड़ पर यदि, तो उस वक्त पहचान लेना। और दोस्ती को उस वक्त, तुम दिल से निभा देना।। वो वक़्त वो लम्हे, कुछ अजीब होंगे। दुनिया में हम […]

बड़े बड़े वैज्ञानिक डाक्टर और शोधकर्ता आदि ने कोरोना से पूछा। क्या तुम्हें पता नहीं हैं, की देश के पाँच राज्य में चुनाव हैं। कोरोना बोला आप चिंता मत कीजिये। हम तो पांच राज्यों के अलावा अभी बाकी राज्यों में व्यस्थ हूँ। इसलिए दो मई तक जो भी करना हैं […]

रेत पर नाम लिखने से क्या होगा। क्या उनको संदेशा तुम दे पाओगें। जब वो आये यहां पर घूमने को। उसे पहले कोई लहर आ जायेगी। और जो तुमने लिखा था संदेशा। उसे लहर बहा कर ले जाएगी। रेत पर नाम लिखने से क्या होगा।। अगर करते हो सही में […]

देश हमारा प्यारा हैं सबका बहुत दुलारा हैं। तभी अनेकता में एकता हम सब का नारा है। देश हमारा प्यारा हैं..।। बहु भाषाएँ होकर भी कश्मीर से कन्याकुमारी तक। भारत देश हमारा हैं जो प्राणो से भी प्यारा हैं। जहाँ जन्मे राम कृष्ण और उन पर लिखने वाले संत। तभी […]

करे न कोई गम अब जाते हुए 2077 संवत का। जो बीता सो बीता अब गुजर गया साल। सिखा गया जाते जाते लोगों के दिलमें प्रेमभाव। नहीं आया विपत्ति में धनदौलत अबकी बार। भूला कर अपने सारे गम करे नई सोच के साथ शुरूआत।। नया साल दे आपको, मन माफिक […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।