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बना लो तुम मुझे अपनी मधुशाला, आऊँगी जब कभी तुम आवाज़ दोगे। प्यार के रस की चासनी छलकाती हूँ, नशा आँखों से बरसाती हुई… बिना जाम पिए तुम मधहोश हो जाओगे, गिरकर मेरी बाँहों में संभल जाओगे॥ दिन दोपरिया रात संवरियाँ, सजा दूँगी तुम्हारी मोहब्ब़त की महफ़िल… ध्यान रखना तुम्हारे […]

ये पीड़ा वो पीड़ा, जाने कितनी पीड़ाओं में व्यक्तित्व दबा है। देह पीड़ा में रोगों की छाया से, शरीर कुंद हुआ। मन पीड़ा में ह्रदयाघात हुआ, अंर्तमन अंत:पीड़ा में अवचेतन शून्य हुआ, समाजिक पीड़ा में मानंसिक कुठा पैदा हुई, सबके-सब पीड़ा में हैं। और ये मिलती कहाँ से खुद मुझसे, […]

बादलों को शिकायत है, हम आपकी याद में कैसे उड़ते हैं? फूलों को शिकायत है, हम आपसे क्यों महकते हैं। हवा को शिकायत है, हम आपके नाम से कैसे साँस लेते हैं। ध्वनि को शिकायत है, हम आपका संदेश पहले कैसे सुनते हैं। तारों को शिकायत है, हम आपको सितारा […]

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मैं अधूरी ही तो हूँ, उस आधी भरी ग्लास जैसी। अधूरा,अधूरा ही तो सब कुछ मेरा तुम बिन, स्त्रीत्व अपूर्ण है मेरा बिन पुरूष तुम्हारी संगिनी बने, बिन मातृत्व सुख के। और आज भी है मेरी रात अधूरी है, दिन उदासी है साँझ प्यासी है, सुबह आशाई है। मैं इतजार […]

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नदी हूँ मैं, सभ्यताओं को बसाती और उनका उजाड़ती भी, मिश्र में नील नदी बनके हड़प्पा में सिन्धु नदी। नदी हूँ मैं, तोड़ दूँगी अपनी धारा को लांघ जाऊँगी अपनी ही, लक्ष्मण रेखा को। नदी हूँ मैं, देश सीमा में न बँधी जिसे मैं पार न कर सकूँ, सिन्धु,रावी व […]

मैं निर्जीव हूँ मेरा भी सम्मान करो, मुझमें तुम्हारी जैसी जान नहीं बोल नहीं पाता, हँस नहीं पाता रो नहीं पाता पर मेरी दयनीय दशा हाल बयाँ करती है, मुझे भी इन्सानों जैसा साफ सुथरा व समय-समय पर मरम्मत करते रहो। मैं खुद पर हुए प्रहार को रोक नहीं पाता, […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।