हिन्दी को प्रचलित तौर पर माथे की बिंदी कहा जाता है। जिस तरह सही बिंदी लगाने मात्र से नारी का व्यक्तित्व प्रभावशाली हो जाता है,ठीक उसी तरह हिन्दी भाषा के शुद्ध प्रयोग से साहित्य और हमारे लेखन की महत्ता भी बढ़ जाती है लेकिन आज देखने में यह आ रहा है कि इसके मूल […]

आसाराम-सिंधी है,राम रहीम-सिख जाट, रामपाल भी जाट,राधे माँ-खत्री सिख है तो जय गुरुदेव-अहीर हैं…यह सब गैर ब्राह्मण बाबा हैं। इन्हीं लोगों ने सनातन धर्म का सत्यानाश किया है। ब्राह्मणों का क्या महत्व है, अब सबको समझना चाहिए। परशुराम जी ब्राह्मण थे,शंकराचार्य जी भी ब्राह्मण थे और चाणक्य भी ब्राह्मण थे,जिन्होंने […]

बहुसंख्यकों के बीच में अल्पसंख्यकों का वतन की सर्वोच्च आसंदी पर आसीन हो जाना हिन्दुस्तान की सरजमीं के अलावा कहीं दीगर मयस्सर नहीं है। जाके देखिए,उन मुल्कों में जहां अल्पसंख्यकों के लिए नुमाइंदगी तो छोड़िए मर्जी से जीना तक बमुश्किल है। यह हिन्दुस्तान की गंगा-जमना तहजीब की सीख है कि […]

उनसे मेरी वह अंतिम मुलाक़ात किसी किस्म का संयोग भर ही कही जा सकती थी, क्योंकि मैं उनको बिना कोई पूर्व सूचना दिए, सहसा उनके उज्जैन स्थित निवास पर पहुँच गया था, जहाँ वे अपनी बेटी के साथ जीवन के आख़िरी वर्षों को गिन-गिन कर काटते जा रहे थे, क्योंकि […]

संजय भारद्वाज……. भाषा का प्रश्न समग्र है। भाषा अनुभूति को अभिव्यक्त करने का माध्यम भर नहीं है। भाषा सभ्यता को संस्कारित करने वाली वीणा एवं संस्कृति को शब्द देनेवाली वाणी है। किसी भी राष्ट्र की सभ्यता और संस्कृति नष्ट करनी हो,तो उसकी भाषा नष्ट कर दीजिए। इस सूत्र को भारत […]

शिक्षा की भाषा,दैनंदिन कार्यों में प्रयोग की भाषा,सरकारी काम-काज की भाषा के रूप में हिन्दी को उसका जायज गौरव दिलाने के लिए अनेक प्रबुद्ध,हिन्दीसेवी और हितैषी चिंतित हैं और कई तरह के प्रयास कर रहे हैं,जनमत तैयार कर रहे हैं। समकालीन साहित्य की युग-चेतना पर नजर दौड़ाएं तो यही दिखता […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।