मेरा चांद बहुत शर्मीला है , चांद रातों को भी दीदार नहीं होते । जो आ जाता तू एक बार आसमां में, हर शब हम यूं बीमार नहीं होते ।। तेरे इश्क की चांदनी में डूबे हैं, अंधियारी रात के शिकार नहीं होते। लुका छिपी तेरी […]
काव्यभाषा
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राजनीतिजीवन बनी,दिलसे साहित साज। कबीर जैसी साधना,जनता रोती आज।। अटल बिहारी आपका, करता जग सम्मान। मर्यादा संविधान की, कहते कवी मसान।। जयजयजयजय अटलबिहारी । राजनीति भी तुमसे हारी।। पच्चीस दिस चौबिसा आई। अटल बिहारी जन्में भाई।। कृष्ण बिहारी पिता तुम्हारे। जो शिक्षक थे सबसे न्यारे।। कविता साहित्य खूब रचाये। दीन […]