जब से भावनाओं ने शब्द धारण किए, तब से अंतस तल में शुभ हेतु गूँजती रही जो प्रार्थनाएँ वो अब भी हैं, मेरे भीतर के अंधेरे-उजाले में सधती,मंत्र-सी होती। जिसमें धीमे-धीमे समय के साथ जुड़ते रहे कुछ नाम, जो ज़ेहन में सगों की तरह बेहद घनिष्ठता,अभिन्नता और आस्था से हुए। […]

मेरी खिड़की पर चिड़ियों ने एक घोंसला बना था। मैंने देखा उसमें से कुछ दिन से आवाज़ नहीं आ रही थी। मुझे लगा अब इसे हटा देना चाहिए। घोंसला ऊंचा था।मैंने टेबिल पर कुर्सी रखी और उस पर चढ़ने लगा। मेरे 75 साल के पिताजी जो आज भी शारीरिक रूप […]

सुनेगी क्या कभी दरकार अपनी, हमीं से जो बनी सरकार अपनी। चमन में लौट आई फिर बहारें, बचाकर जान भागे खार अपनी। दिखाई है हमें औकात उसने, करेंगे हद नहीं अब पार अपनी। खिलाएं क्या,भरण कैसे करें अब, जो मारे कीमतें भी मार अपनी। न कोई आरज़ू ही रब से […]

तन-मन,चिंतन कर दिया, तुम्हें समर्पित राम। फिर अपनाते  क्यों  नहीं, राघव करुणाधाम?॥ प्रभु मारुति !अब कीजिए, मर्मान्तक आघात। अहंकार   करने   लगा, फिर मन में उत्पात॥                                               […]

टन टन टन बज गई घंटी,  गुरुजी की उठ गई शंटी। गर्मी की छुट्टी फुर्र हो गई, गुरुजी की गुर्र शुरू हो गई। गोलू भोलू खेलना बन्द, पढ़ना इनको नहीं पसंद। मम्मी ऊपर से चिल्लाए, पापा गुस्से में आंख दिखाए। सारी मस्ती भई छूमंतर, पढ़ाई का डंडा है सिर पर। […]

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हिंसा को भड़काने वाले ये किसान नहीं हो सकते। जीवन को सुलगाने वाले ये किसान नहीं हो सकते। खेतों में जो श्रम का पानी देता है। फसलों को जो खून की सानी देता है। फसलों को आग लगाने वाले, ये किसान नहीं हो सकते। हिंसा को भड़काने वाले ये किसान […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।