जब से दूर हुए तुम हमसे, मन का आंगन सूना है। तुम संग जीवन रंग बिरंगा, तुम बिन कितना सादा है ? सुधियों की आवाजाही में उपजी कितनी बाधा है ? ख़ुशी हो गई आधी तुम बिन, गम का हिस्सा दूना है। जब से दूर हुए तुम हमसे, मन का […]

अगर भोग में त्याग का, रचना रुप-विधान। तो माण्डवी पुनीत का, करना पावन ध्यान॥ जहाँ उर्मिला का तपा, पातिव्रत्य पुनीत। सदियां लिखतीं हैं वहाँ, दृढ़ संयम की जीत॥                                             […]

बाबू दिलीप सिंह,रामू को पैसा देते वक्त  हिदायत देते हुए कहते हैं -‘रामू यह पैसा मैं तुम्हें ब्याज पर दे रहा हूँ। हमें हर माह की हर १० तारीख को १० हजार मूलधन का १००९ रुपए सूद प्रति माह की दर से मिल ही जाना चाहिए,हमें दुबारा न कहना पड़े।’ […]

साँसों की बज रही बाँसुरी गूंज रहा है मन-वृंदावन, तड़प रही प्राणों की राधा जाने कहाँ छिपा मनमोहन। छलिया तन-कदम्ब पर बैठा रचता चीरहरण की लीला, कर्मों की यमुना में डूबा हर गोपी का तन-मन गीला। हर आँचल में भरी निराशा, सिसक रहा है आँगन-आँगन॥ सम्बन्धों की इस मथुरा में […]

आराधना ईश्वर की करो, अपने जीवन को सफल करो। गृहस्थ आश्रम जीवन का परिश्रम, जीवन से मृत्यु तक इन्सान का जीवन, सबसे सुन्दर है जीवन का बचपन। बचपन में बच्चों को सिखाओ वही सीखते हैं, माता-पिता का अनुसरण करते हैं, शिक्षा दो जैसी वैसा वो सीखते हैं। बचपन का जीवन […]

सावन की घटाएँ, जैसे गौरी की अदाएं। पहले गरजती है, फिर वो चमकती है। घनघोर घटाएँ, फिर वो बरसती है। किसी के दिल को, ठंडक पहुँचाती है। पिया बिन गौरी के, दिल को जलाती है। पानी में भीग-भीग, तन जो हो गीला। मन मचल जाए, झूले जब झूला। ठंडी ये […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।