जब से दूर हुए तुम हमसे

0 0
Read Time2 Minute, 2 Second

ram lakhara

जब से दूर हुए तुम हमसे,
मन का आंगन सूना है।

तुम संग जीवन रंग बिरंगा,
तुम बिन कितना सादा है ?
सुधियों की आवाजाही में
उपजी कितनी बाधा है ?
ख़ुशी हो गई आधी तुम बिन,
गम का हिस्सा दूना है।
जब से दूर हुए तुम हमसे,
मन का आंगन सूना हैll

सारे मुक्तक मंत्र हुए हैं,
गीत भजन में निखरे हैं।
कविताओं के पुष्प,दुःखों के,
कल्पवृक्ष से उतरे हैं।
इस साधू मन के भीतर ही,
एक धधकता धूना है।
जब से दूर हुए तुम हमसे,
मन का आंगन सूना हैll

   #राम लखारा ‘विपुल’ 

परिचय: भारतीय डाक विभाग में एसबीसीओ शाखा में कार्यरत राम लखारा ‘विपुल’ का जन्म राजस्थान के छोटे कस्बे सिणधरी में १४ अगस्त १९९२ को हुआ है। अंग्रेजी साहित्य में स्नातक और हिंदी साहित्य में परास्नातक (एमए) राम लखारा की पहचान आज की पीढ़ी के युवा कवि में है। श्रृंगार और जीवन दर्शन इनकी कविताओं का मुख्य विषय रहा है। यदि इनके प्रकाशन देखें तो- कई राष्ट्रीय -प्रादेशिक समाचार पत्रों सहित अंतर्राष्ट्रीय वेब पत्रिकाओं में इनकी कविताओं का प्रकाशन जारी है। काव्य संग्रह ‘कविता अनवरत-1(२०१५ )’,’कविता अनवरत-1(२०१६)’,’कलम के कदम’,’सत्यम प्रभात’,’काव्य कलश’,’प्रेम काव्य सागर (२०१६)’ सहित इनके नाम ‘उन्वान साझा संग्रह’ हैl विभिन्न कवि सम्मेलनों,काव्य गोष्ठियों और आकाशवाणी में इनकी कविताएं निरंतर गुंजायमान हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

वार्षिक अधिवेशन में कवियों ने किया रचनाओं से सम्मोहित 

Thu Oct 12 , 2017
देवघर। राष्ट्रीय कवि संगम का वार्षिक अधिवेशन ८ अक्टूबर को देवघर (झारखंड) में हुआ हुआ। इसमें धनबाद के कवियों ने अपनी रचनाओं से धूम मचा दी। खास तौर पर सांसद निशिकांत दुबे की बतौर अतिथि उपस्थिति रही। इस सम्मेलन में श्री दुबे के संबोधन से कवियों में उत्साह का शानदार […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।