कितने वर्षो से हम, सब सह रहे है , खून के घूट मानो, कब से पी रहे है / कब तक जवानो को, यूही शहीद करवाओगे, मर्द होकर भी क्यों, हम नामर्द कहलायेंगे ? बंदकरो अब ये, राजनेताओ की वार्तालाप, साथ ही बहुत करलिए, शांति के प्रयास / गोली बारूद […]

कहाँ से चले थे, और कहाँ आ गए , जाना था कहाँ ,और कहाँ हम पहुंच गए / मंजिले मिली बहुत, पर हम ठहरे नहीं , क्योकि मुझको खुद, पता ही नहीं था / की मेरी आखिर, मंजिल कहाँ है  // किसको इसका दोष दे हम, सभी तो अपने हैं, […]

मैने की आईने से दोस्ती संवारता खुद को जाने क्यों लगता मुझे प्यार हो गया नयन कह जाते बिन बोले नींद जाने कौन उड़ा गया निहारते रहते सूनी राहों को शब्दों को गढ़ता बन शिल्पकार दिल के अंदर प्रेम के ढाई अक्षर सहंम सी जाती अंगुलियां हाथों की अंगुलियां बनी […]

सारी दुनिया से अपनी, पहचान मिटा कर चले गए, भिगोकर खून में वर्दी, कहानी दे गए अपनी I मोहब्बत वाले दिन, वतन पर जान लुटा गए , और वतन से मोहब्बत वो, इस कदर निभा गए II अपनी सारी खुशियाँ और, अरमान लूटा कर चले गए, मोहब्बत मुल्क की सच्ची, […]

जनमंचों पर अपनी साहित्य विधा के हर रंग का जादू बिखेरने वाले हास्य व्यंग्य  कवि .प्रदीप नवीन  यूँ तो जन -जन में लोकप्रिय है उतनी ही उनकी साहित्यिक कर्म में रूचि अम्बर को छू रही है । स्वयं को बड़ा कभी न महसूस समझने वाले प्रदीप नवीन की सहयोग की भावना का एक […]

 विधाता ने क्या बनाया है , अपनों को ही अपने खेल से नचाया है / कितनी  विचित्र सी बात है लगाती है , मनुष्य को धोखा, मनुष्य नही देता है / बल्कि वो उम्मीदे, धोखा दे जाती है , जो वों दुसरो से हमेशा रखता है //  ये जिंदगी तमन्नाओ […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।