निमाड़ की साहित्यिक धरोहर को संजोए रखने एवं उसका संवर्धन करने के लिए निर्माण की धरा पर साठ के दशक में माहिष्मती प्रकाशन की स्थापना को साकार करने वाले श्री बाबूलाल सेन की 11 वीं पुण्यतिथि पर उस महान साहित्य मनीषी को कोटि कोटि नमन करता हूँ।  अध्यात्म की इस […]

ठाकुर बलदेव सिंह एक नाम ही नही वे सचमूच के ठाकुर हैं मेरा मतलब कर्म से है। दरअसल उनकी जमींदारी का रूतवा आज के दौर में भी बरकरार था।नौकर चाकर बंगला सरकार पर पहुँच क्या नही था उनके पास।बीते 4दशकों से उन्होने समय को अपने हिसाब से चलाया। कईयो को […]

मैंने उनसे कहा कि “दद्दा जी,उधर बच्चे चमकी बुखार से मर रहे हैं,राष्ट्रीय शोक की घड़ी है और आपको क्रिकेट सूझ रहा है।” दद्दा जी ने भड़कते हुए कहा- “मैं अपनी मर्जी का मालिक हूँ,मैं चाहे ये करूं, मैं चाहे वो करूं या फिर मैं कुछ ना करूं,मेरी मर्जी !आप […]

आज हम मिलते हैं जोरहाट, असम के उस साहित्यकार से जिसकी लेखनी न सिर्फ कई विधाओं बल्कि कई भाषाओं में भी सरपट दौड़ती है। पूर्वोत्तर भारत का जाना-पहचाना नाम है पैसठ वर्षीय डॉ. रुणु बरुवा ‘रागिनी’ का जो खुलकर कहती हैं कि जिसे पिंजरे से प्यार हो जाए वह कभी […]

भारतीय संसद में इन दिनों प्रस्तावित शिक्षा नीति को लेकर चर्चा चली तो नीति बनने से पहले ही हिंदी थोपने का मिथ्या आरोप गढ़कर हिंदी का विरोध होना भी शुरू हो गया।जिस पर केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री डॉ रमेश पोखियाल निशंक को यह तक कहना पड़ा कि हिंदी किसी पर […]

हिंदी भाषा के गौरव की स्थापना और भारत में हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए कृत संकल्प मातृभाषा डॉट कॉम ने बहुत प्रशंसनीय कार्य किये। उसमें हिंदी के नवोदित और स्थापित रचनाकारों की रचनाओं को प्रकाशित कर पाठकों तक पहुँचाने का कार्य किया गया। मुझ समेत अनेक रचनाकार जुड़ […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।