श्रावण मास तीज की, सिन्जारे पर प्रीत की गोरी कोरे हाथों पर, मेहंदी रचायगी हाथों का शृंगार कर, खुद  को संवार कर लाल सुर्ख जोड़े में वो, पिय को रिझायगी मेहंदी दिखा के वह, सीधा कह देगी वह नखरें न आज वह, पिय के उठायगी जुल्फ मेरी बिखरेगी, चान्द से […]

नव पल्लव जैसे खिलते है,, तुम लेती हो अँगडाई। गंध  तुम्हारे अंग अंग  से, लेकर बहती  पुरुवाई। नैन  कटीले कजरारे प्रिय  ,,, नित बसते है चेतन में। क्षण भर का परिरंभ तुम्हारा,अमृत जैसे मरूवन में। वृत्तपुष्प मकरंद अधर द्वय,  ग्रीवा लगे सुराही  है। कुंतल स्याह घनेरे बादल ,, राह भटकता […]

जीवन की संध्या बेला में जब तन के साथ मन भी जर्जर होने लगता है तब तक अपनी संतति भी आजीविका के लिए मजबूर हो अपनी जड़ों से दूर जा बैठती हैं। जिन बच्चों की किलकारियों और चुहलबाजी से घर की ईंटे भी ठहाका मारा करतीं थी आज वहां घुप्प […]

खुद पे एतवार का चंद सवालों का झमेला यहाँ वक्त-वक्त का मेला रे। रोजी-रोटी-मकान का यहाँ झमेला रे। भूख की जात नहीं रोजी-रोटी की बात नहीं नंगे पांव चलते-चलते छाले का झमेला रे। तन ढका नहीं मन पढ़ा नहीं कह दिया नंगा रे, बात बात का झमेला रे। सर्दी गर्मी […]

अंहकार किसी का हो कष्टदायी ही होता है राम कभी नही बनने देता बस रावण हो जाता है राम जैसा भेष बना कर जो जनता बीच आये थे ऊंचे ऊंचे स्वप्न दिखाकर जनता को ठग गए थे वही भहरुपये भूल गए जनता से किये वायदों को किसान,मजदूर बेहाल हुआ व्यापारी […]

मेरा प्यारा भारत ऐसा हो , जहाँ गंगा जमुनी तहज़ीब पले , धर्म के नाम पर ना हों दंगे,  हर चेहरे पर मुस्कान खिले।  बेईमानी भ्रष्टाचार के दीमक से,  हो जाए मुक्त भारत प्यारा,  गरीबी बेरोजगारी दूर हटे,  ना रहे कोई खुद से हारा। मेरा देश ना बने कभी , […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।