सावन की घटाएँ, जैसे गौरी की अदाएं। पहले गरजती है, फिर वो चमकती है। घनघोर घटाएँ, फिर वो बरसती है। किसी के दिल को, ठंडक पहुँचाती है। पिया बिन गौरी के, दिल को जलाती है। पानी में भीग-भीग, तन जो हो गीला। मन मचल जाए, झूले जब झूला। ठंडी ये […]

पूजा-भक्ति रोज करुं, मां तेरा ही गुणगान करुं। हम भक्तों पर दया भी करना, ज्ञान थोड़ा हम सबको देना। हम अज्ञानी करें वन्दना, हाथ जोड़कर पूजा-प्रार्थना। वीणा वादिनी,हंस वाहिनी, ज्ञान की शक्ति देवी है। मां बिन तेरे न कुछ होए, जिससे रूष्ट कभी हो जाए। उसकी बुद्धि ही हर ले, […]

जीवन का सफर ही एक जिन्दगी है, जन्म से मुत्यु तक जीवन का सफर चलता रहता है। टेढ़े-मेढ़े रास्तों से होकर गुजरता है, सुख-दुःख यहाँ पल-पल में आते जाते,बदलते हैं। मोह माया भरी ये जिन्दगी चलती है, गरीबी अमीरी की करवट बदलती है, बचपन,जवानी बुढ़ापा ये हर किसी में आता […]

मेरे पिता सच्चे सीधे इन्सान थे, मेहनती किसान थे भगवान के अच्छे और सच्चे भक्त थे। मुझे जबसे याद है मौसम कोई भी हो, सुबह पाँच बजे रोज उठ जाते थे, आधा-एक घंटा भगवान की भक्ति पलंग पर ही बैठे-बैठे करते थे फिर उठकर सुबह के नित्यकार्य करते थे। नहाने […]

किसान एक सीधा सच्चा इन्सान है, मेहनत करता है मेहनत की खाता है फटे हाल रहता है। मिट्टी से खेलता है, मिट्टी में रहता है दिन-रात खून पसीना बहाता है, एक-दिन दो दिन नहीं हमेशा ही करता है। सादा जीवन उच्च विचार रखता है, हर प्रकार का अनाज पैदा करता […]

वक्त के साथ चलो, बक्त भी साथ चलेगा। जीवन में खुशियों का संसार भी मिलेगा। क्या गम है और क्या खुशियां, जहाँ रहो बस वहीं मिलेगी। वक्त का काम है चलते रहना जो, हमेशा चलता रहता है समय के साथ कोई चले न चले वह तो चलता ही रहता है। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।