आप यकीन नहीं करेंगे | दुनियां के कुछ अन्य देशों का कुल बज़ट होता है, उतना खर्च तो भारत के नेता लोगों के समोसों के लिए निकलता है | फिर इस देश के आम जनमानस चाहें भूखा मरे, नंगा रहे, कोई फर्क नहीं पड़ता | आप आश्चर्य करेंगे, जितने लोग […]

सोफे पर अधलेटा होकर सोहनलाल द्विवेदी जी की यह पंक्तियां गुनगुना रहा था- आया वसंत आया वसंत छाई जग में शोभा अनंत सरसों खेतों में उठी फूल बौरें आमों में उठी झूल बेलों में फूले नये फूले पल में पतझड़ का हुआ अंत आया वसंत आया वसंत। मेरी यह गुनगुनाहट […]

कभी आश्चर्य होता है, किस तरह से हमारे मनीषियों, ऋषियों, दिव्य विभूतियों ने,चारों युगों के, गुण धर्मानुसार नामकरण किए। शायद उन्हें पता था, कि चौथा युग होगा ऐसा कलयुग, जहां के कलयुगी प्राणी, कल पुर्जों से घिरे रहेंगे। यंत्र चालित से संवेदनहीन रहेंगे, धुँआ खाएंगे ,धुआँ छोड़ेंगे और धुआँ ही […]

  आप वर्तमान दुनिया में “ही”(HE) है या “शी”(SHE) है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, यदी आप “ई” नहीं है तो कुछ भी नहीं है । चौंकिए मत, “ई” वह है जो स्त्री को स्त्री और पुरुष को पुरुष होने का आभास कराता है। आने वाले समय में अपने आप […]

नेता व साधु के बीच यदि कही मैत्री भाव की अनुभूति हो तो समझ ले कि दोनों के बीच “विवेक पूर्ण ” समझौता है! इसी विवेक का इस्तेमाल हम अपने लिए करे अपने अंतर की चेतना से करे तो दोनों में भारी विभेद दृष्टिगोचर होता है क्योंकि दोनों के लक्ष्य […]

  सुख से सम्बन्धित बातें तो बहुत सारी की जा सकती हैं लेकिन कुछ बातें अनुभव की करी जाए तो उसका आनंद अलग है । लोग कहते है कि आंखों देखी और कानों सुनी बात में ज़मीन और आसमान का अंतर आ जाता है, लेकिन आज जो बात है वो […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।