1. पालन पोषण पेड़ प्रिय,परम्परा पितभाँति। पर्यावरण प्रतीत पर, पंछी पथिक  पदाति।। 2. पौरुषपथ पहचान पुरु,पूत पेड़ प्रतिपाल। प्रतिघाती पर्यावरण, पातक  पड़े पताल ।। 3. पल पल प्रण पूरा पड़े,पर्यावरण प्रदाह। पान पताशा पाहुना, पूजन पेड़  प्रवाह।। 4. पेड़ पर्वती पर्यटन, पथजलीय पतवार। परमेश्वर पति पार्वती,पर्यावरण प्रसार।। 5. पेड़ परिक्रम […]

हे,मनुज विश्व में,पृथ्वी पर जीवन है जितने। पर्यावरण हित क्या पृथ्वी पर वृक्ष है उतने। पृथ्वी पर जल जीवन वायु,सब साज सजे है। पर्यावरण को भूल मनु ने कितने कृत्य सृजे है ईश,प्रकृति,मानव निर्मित,ये सब जो आवरण चहुँमुखी अर्थ भला सब मिल होते पर्यावरण विकास के निमित्त,नितनूतन इतिहास रचाए इसी […]

माँ मुझको दे विदा तिलक, अब,सीमाओं पर जाना है। आतंकी और शत्रु वतन के, फिर गद्दारी वंश मिटाना है। जन्म जुस्तजू तेरे आँचल मे, जगती अभिलाषा सीमा पर। जब  तक श्वाँस चलेगी ,मेरी, मै,डटा रहूं निज सीमा  पर। वैज्ञानिक बनकर न जाऊं, चन्द्र ,ग्रहों की  खोजों पर। नहीं विमान  उड़ाना  […]

आज नहीं  मन पढ़ने का, आज नहीं,मन लिखने का। मन विद्रोही,निर्मम  दुनिया, मन की पीड़ा किसे बताऊँ, माँ के आँचल में सो जाऊँ। मन में कई तूफान मचलते, घट मे सागर भरे छलकते। तन के छाले घाव बने अब, उन घावों को ही सहलाऊँ, माँ के आँचल में सो जाऊँ। […]

सितारे साथ होते तो सोचो क्या दिशा होती सभी विपरीत ग्रह बैठे मगर मैं फिर भी जिन्दा हूँ। पटका आसमां से हूँ जमीं ने मुझको झेला है मिली है जो रियासत भी नहीं,खुद से शर्मिन्दा हूँ। न भाई बहन मिलते है न सगे सम्बन्धी मेरे तो न पुख्ता नीड़ बन […]

वतन, बस  भू मण्डल  के कुछ, एक हिस्से  का  ही नाम नहीं है। वतन,  सीमा रेखा में शासन का, और  सरकारों का काम नहीं है। वतन, इंसानों की आबाद बस्तियों, का रहने बसने का ही धाम नहीं है। वतन, प्रभुसत्ता धारी संविधान का, केवल कोरा शुभ गुण गान नहीं है। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।