राष्ट्र-प्रेम का प्रदीप, सदैव दीप्तिमान हो। विश्व-ऐक्य-भाव ही, सर्वथा प्रधान हो।। कोटिशः नमन तुम्हें, धीर वीर महान हो। त्याग शान्ति समृद्धि के, तुम्हीं तो वितान हो।। शुष्क हृदय न हो कभी, प्रेम प्रवाहमान हो। कर तिरोहित वैरभाव, अधर मात्र मुस्कान हो।। है एक प्राण दाता पूज्य, सर्व-धर्म समान हो। मनुज […]
shubha
रामायण में आदिकवि,करते हैं उल्लेख। रामराज्य के रूप को,खुले नयन मन देख।। ग्यारह हजार वर्ष तक,रहे अवध श्रीराम। बन्धु-बान्धवों संग ही,बना लोक सुख-धाम।। रावण रुपी छ्ल मरण,हरण दंभ सब पाप। सत्य सुयश का मार्ग ही,दिखलाते प्रभु आप।। सीता माता के हृदय,नाथों के हैं नाथ। मर्यादा पालक प्रभो,रहे सर्वदा साथ ।। […]