आज काश्मीर में धोखा, गद्दारी चित्कार !हाहाकार ! सिसकती सभ्यता कराहती हुई संस्कृति कैसी है विडम्बना! कैसे वहां के लोग कभी सेना पर हमला तो कभी पत्थरबाजी कभी दुश्मन की छांव आखिर क्यों ? कौन है तेरा देश कहां तेरा गांव जो देता तुझे छांव घाव देते तुम उसे कुठांव […]

भाषा करती है सांस का अभ्यास हास परिहास के कंटक झाड़ों पर चिर जाती है भाषा जैसे हो पतंग भाषा है मिट्टी ,पानी और हवा भी पूर्ण रूप से प्राण है अपनी भाषा मूक कोंपलों सी कराहती हुई वह ढूंढ रही है व अपनी वेशभूषा को छटपटा रही है भाषा […]

राजनीति अब वोटों का खेल कर दो वादे कुछ भी अनेक जो कभी न पूरे होने वाले मंहगाई की बात करने वाले जितना चाहे बांट सको बांटो चाहे खजाना खाली हो बगिया तो रो ही सकती है माली ही जब स्वार्थी हो जायेगा भ्रष्टों का क्या बिगड़ेगा जो अभी व्यवस्था […]

सर्द रातें अब कमजोर पड़  रही  हैं लोग घरौंदों से बाहर निकल रहे  हैं आसमान भी अब साफ होने लगे हैं फिर  भी बादल क्यों गरजने  लगे हैं चौराहों पर चाय के दौर चल पड़े  हैं समझा ! ये मौसम क्यों बदल  रहे हैं टी वी पर भी चुनावी ढोल […]

विनती करूं शीश नवाय के सुनो शारदे मांय, लिखने में यदि भूल हुई हो, शीघ्र दीजे बताय, शीघ्र दीजे बताय मेरी कविता हो अति सुन्दर, अवगुण न होवे कभी इस कविता के अन्दर, लिखे अकेला “दास”, अब आप ही हैं रक्षक, विनती करूं हे मां! सहारा हों बन के तक्षक, […]

सदियों से रहा है आरक्षण कौन कहता है कि आज नया है आरक्षण यह परिपाटी नयी नहीं पुरानी परम्परा है आकाश,पाताल या सड़क सबमें है आरक्षण सूरज को जल कोई पश्चिम तो कोई पूर्व में दे कोई राम को माने तो कोई कृष्ण को जाने कोई महाराष्ट्र को तो काश्मीर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।