म्हारे देश में आपणी-आपणी कहानी सुणावै सै अर अपने रोले-रोवै सै मेरे ढब्बी ब्होत घणे थे उन में तै एक मेरा घणा प्यारा ढस्बी जो आज मेरे बीच में ना सै जो कदे भी लौटे कोनी आवै उसका कै नाम, सै उसका मेरे साहसी नाम ना लेवो वो तो मेरे […]

जा रहा हूँ, मैं हूँ साल दो हज़ार बीस, क्षमा करना, नफ़रत स्वाभाविक है, छीना जो है बहुत कुछ, बच्चों से पिता को, बहन से भाई को, पत्नी से पति को, ना जाने कितने रिश्तों से रिश्तों को, कारोबार, ऐशो आराम, सुख चैन, फ़ेहरिस्त लंबी है, द्वेष है, क्रोध है, […]

उर्दू कविता में दोहा की परंपरा प्राचीन है। जिस प्रकार उर्दू भाषा के विकास में सूफियों की सेवाएँ अविस्मरणीय हैं, उसी प्रकार उर्दू साहित्य के विकास में भी उनकी सेवाओं को अनदेखा नहीं किया जा सकता। दोहा उर्दू कविता की एक शैली है। कुरान के शुरुआती निशान भी सूफीवाद के […]

कहीं जब याद का मौसम आता है दिल में कोई कलियाँ नहीं खुलतीं जब दर्द की गंध दिल की सभी दीवारों को सूँघो दुखों के साधन पर उन्होंने इस तरह एक अनसुना गीत गाया वो सारे सपने उन आंखों से जैसे आंसू निकल आए तो मुझे याद है कि हम […]

नए साल का नया त्योहार लाऊंगा करीब से देखो – बहुत सितारों में मैं एक नई रोशनी लेकर आऊंगा मैं तुम्हें न्याय के दिन के करीब लाऊंगा मैं तुम्हारी इन बेदम सांसों के लिए एक उद्देश्य लाऊंगा कड़वी यादें जो रह जाती हैं मैं उन्हें भूलने का एक तरीका लाऊंगा […]

पराई जब हम छोटे थे तब हमें समझाते थे की लड़की पराया धन है जब थोड़े बड़े होते गए अब समझ में आया अपनी लड़की बहन बेटी बुआ यह सब है लड़की वो भी है जो हमारे घर में आई है मम्मी दादी पत्नी चाची ताई पर यह तो हो […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।