उमड़-घुमड़ कर आई बदरिया, लाज-शरम की ओढ़ी चदरिया। सिमट-सिमट चली प्रेम डगरिया, ज्यों की त्यों आ गई सांवरिया। पल-भर में उड़ गई चुनरिया, यौवन की भरपूर उमरिया। उमड़-घुमड़ कर आई…॥ भोर भए फिर आई बांवरिया, हांथन की दे-दे के थपकियां। बांहन में भर गई सजनिया, पल-भर में बीती दुपहरिया। सपने […]

अंकों की पगडंडी पर उम्र भले तमाम हुई हो, तुम-तो बचपन की गिनती का पाठ नया शुरु करना॥ चेहरे पर बलखाई सलवटें जब नजर आने लगें, कांच के मर्तबान में सुर्ख गुलाब लगा लेना॥ हर आंधी में टूटा पत्ता भी तो कभी हरा था, बस उन यादों के सहारे सावन-सा […]

तन,मन और जीवन को आओ थोडा़ सरस बनाएँ, करें योग-व्यायाम ध्यान और जीवन को हम सरल बनाएं। जग में फैल रही कटुता पर योग-ध्यान का लेप लगाएं, वाणी में भरकर मिठास नव-जागृति का दीप जलाएं। कुंभ,दंभ का फोड़ धरा पर, होठों पर मुस्कानें लाएं, परहित को साकार करें और नवाचार […]

यूं नहीं आती हैं फसलें खेत की मिट्टी से प्रिये, ये पसीना बूंद बनकर बीज के कानों में कहता, आना है कुछ ही समय में तुमको धरा की पीठ पर, तृप्त करना है मनुज की हर कामना तुमको। देह झांकती हो भले इस जीर्ण चिर से, पर मुझे चिंता तुम्हारी […]

मन की कली मन में खिली तो गाँव-गाँव वो चली, थोडी़-सी थीं यादें मेरी वो भी पाँव-पाँव चली। सफर जो धूप का किया तो एक तजुर्बा-भी मिला, वो जिन्दगी-भी क्या भला, जो सफर छाँव-छाँव चली। नजर अगर थोड़ी झुकी तो मन की आस भी बंधी, अगर नजर थी प्यार की […]

[मजदूर दिवस (१ मई )पर विशेष ] उन्हें कोई फर्क नहीं पढ़ता, रात अमावस की हो काली या हो पूर्णिमा की उजियारी, अपने पसीने की लालिमा से सर्वत्र रोशन किया है उसने, जहां पहुंचने में रवि की किरण असहाय हो जाती है। तन ढँकने को तनिक-सा चिर ज्यादा दिखाई देता […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।