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विद्या का मंदिर खूनी जल्लादों का बन घर बैठा, पता नहीं,कब-कहां कौन है कालसर्प बनकर बैठा। चीत्कार-कोहराम मचा है, हर आँख में नीर है, प्रिय मासूम प्रद्युमन का क्यों लहूलुहान शरीर है। मां की आंखें रो-रोकर पथराईं है, बार-बार बाबू बेटा चिल्लाईं है। पापा की आँखों में अंधियारा छाया, बदहवास […]

दुनिया आप को माने उसके लिए, मेहनत से करना काम होता है…। न कि जबरदस्ती मानने के लिए, युद्ध को देना अंजाम होता है…। ये अलग बात है नसीब साथ नहीं देता, तो दिल लेना थाम होता है…। परिवार को दुख दे  कुछ हासिल नहीं, केवल जीवन हराम होता है…। […]

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अगर हम सोचें तो जीवन  में आनंद तमाम है, प्रभु प्रीति में जैसे मन बन जाए वृंदावन धाम है। झूठे जग की माया और झूठी हमारी काया, शाश्वत सत्य कि जानते हम वो भी गुलाम है। जीवन उसी का सफल है इस जग में आकर जिसके जीवन में प्रभु गुण […]

  केवल तू  ही  तू कान्हा, दूजी  न आरजू  कान्हा। पूजा करता हूँ तुम्हें बड़े अरमान के साथ, ख्वाहिशें पालता हूँ बड़े अभिमान के साथ। देखो मुझसे कभी तुम भी रूठ जाना नहीं, सोचता हूँ तुम्हें ही निर्दयी सम्मान के साथ॥ ख्वाहिशें पाने की तुम्हें पूरी करो न करो पर, […]

वैसे दोनों भाई एक दूसरे पर जान छिड़कते थे,पर एक दिन रमेश खेत में मरा मिला,पुलिस आई पंचनामा हुआ।लाश सुरेश छोटे को सौंप दी गई,विधिवत क्रियाकर्म हुआ। कुछ माह बीते पता नहीं चल पाया कि मौत की वजह क्या थी। पुलिस भी नाकाम रही,कुछ वर्ष के अंतराल में छोटा भाई […]

हिस्से में आई बेइज्जती को देख मन सुन्न हो गया रामदीन का..क्या सोचा था क्या हो गया,अपनी सगी बहन से इस बर्ताव की सपने में भी उम्मीद न थी,किस कलेजे से कह दिया भईया  रात आप भगतपुर में बिता लो,सुबह बारात विदाई के बाद चले आना,आप के ये ‘सफेद दाग’ […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।