एक हसीन शाम बनके आई है मेरे लबों पे जाम बनके आई है देखा है उसने बड़ी नजाकत से लगता है कोई पैगाम बनके आई है कातिलाना लगती है उसकी अदाएं मेरी चाहत गुलफाम बनके आई है इश्क मुझको ही मुक्कमल है जैसे इबादत  मेरी पहचान बनके आई है भा […]

दिल किसी का दुखाना नहीं हमको चेहरा किसी से छुपाना नहीं हमको तिरंगा लहराते हम शान से चलते है कभी सर भी झुकाना नहीं हमको दूरी बनाकर हम रखते है उनसे भी ग़द्दारों को पास बिठाना नहीं हमको दिखाए आँख जो हमको चिर देंगे हम गलती से भी आजमाना नहीं […]

चमन वालो तिरंगा हम लहरायेंगे वन्दे मातरम मिलकर हम गाएंगे हस्ती कोई हमारी मिटा सकता नहीं दुनिया वाले भले हमे आजमाएंगे गर्व करते है हम हमारे वतन पर बढ़ते कदम हमारे न डगमगाएँगे वादा है हमारा और इरादा भी  है दुश्मन ही  हमारे  मुँह की  खाएंगे वतन के खातिर गर […]

मुझे अब मचलना आ गया है अंगारों पे  चलना आ गया  है जमाने से बहुत ठोकरें है मिली मुझे अब सम्हलना आ गया है किसे अपना कहते दगाबाज थे खुद को अब बदलना आ गया है मुश्किल रास्ते मुश्किल लगते नहीं हालातों पे अब ढ़लना आ गया है कदम मेरे […]

जमाने मे कौन समझदार है जिसको भी  देखो  गद्दार है सरेआम घूमता गुंडा भी देखो हथकड़ी में जकड़ा कहां गिरफ्तार है पसीना भी ऐसे निकलने लगा है वक्त की तेज सबसे  रफ्तार  है लड़ाई ये झगड़े हड़तालों का खेल उदासीन बहुत ही  ये सरकार है अमन चैन खोया ना शान्ति […]

कदम मैंने रखें जबसे जमीन पर स्वर्ग सा ही तो लगता जमीन पर धरती माँ की गोद मे बड़ा सुकून है राहत मिलती मुझे बस जमीन पर आसमानों को छूने की ख्वाहिश नहीं मेरा घर ही मिला मुझे जमीन पर खुशियां रंगीनियां महक ये चहक खूबसूरत नजारे सब है जमीन […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।