न बोल सकता हूँ न सुन सकता हूँ हाँ देख सकता हूँ परन्तु कह नहीं सकता। कुछ करने का तो। प्रश्न उठता ही नहीं। क्योंकि ये भारत है। जहाँ एकतरफ चलता है। चाहे टेलीविजन हो या रेडियो हो या समाचार पत्र हो। सभी एक तरफ ही दौड़ाते है। पर किसी […]

न दिल लगता है न मन लगता है। बस तुम्हे देखने का मन करता है।। न भूल सकता हूँ न भूलाया जा सकता है। दिल में एक कसीस है उसे दिलमें सजाया है।। गम के अंधेरों में तुम्हें ढूढ़ रहा हूँ। शायद रोशनी की किरण मिल जाये।। फूलों की किस्मत […]

पूणिमा की चांदनी रात में मेहबूब को लेकर साथ में। चले जन्नत में मोहब्बत करने के लिए वो। मेहबूब के पैरों में कही कोई कांटा न चुभ जाये। तभी तो चांद ने बगीचे में मोतियो को बिछा दिये।। जैसे ही पढ़े कदम मेहबूब के जन्नत के बाग में। मुरझाए लताएं […]

जिंदगी में बहुत लोगों के तुम काम आये हो। मर कर भी साथ तुम लोगो का निभा जाओ। अपने अंगों को तुम औरों को दान कर जाओ। और जाते जाते खुद ही अंतिम उपकार कर जाओ।। देकर जीवन दूसरों को मानव धर्म निभा जाओ। जिओ और दूसरों को जीने की […]

नसीब वाले होते है वो घर परिवार। जहाँ जन्म लेती है बेटी। परिवारों की जान होती है बेटी। घर की लक्ष्मी होती है बेटी। सुसराल में सीता दुर्गा होती है बेटी। दो कुलो की शान होती है बेटी।। बेटी की मोहब्बत को कभी आजमाना नहीं। वह फूल हैं उसे कभी […]

कभी गमो का साया था तो कभी खुशी का साया। फर्क बस इतना था जिस से हमने पाया । वो पहले गम था और बाद में खुशी देने वाला। वो कोई और नहीं था हमारा ही मन था।। डूब जाते थे तब हम जब नहीं समझ पाते थे। और गमो […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।