” बाबा ! ऐसा मत करिए. वे जी नहीं पाएंगे,” बेटी ने अपने पिता को समझाने की कोशिश की. ” मगर, हम यह कैसे बरदाश्त कर सकते हैं कि हमारी बेटी अलग रीतिरिवाज और संस्कार में जीए. हम यह सहन नहीं कर पाएंगे. इसलिए तुम्हें हमारी बात मानना पड़ेगी.” ” […]
लघुकथा
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